विद्या ददाति विनयम्

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संख्यावाचक शब्द क्या होते हैं? इनका भाषा पर प्रभाव || संख्यावाची शब्दों की सूची || Sankhyavachak Shabdo ki SUCHI

हिन्दी भाषा में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग प्राचीन काल से होता चला आ रहा है जिन्हें निश्चित संख्याओं के द्वारा इंगित करने पर उनके बारे में ही कहा गया है ऐसी जानकारी प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए कहा जाए― 'तीन काल' तो यहाँ आशय वर्तमान काल, भूतकाल एवं भविष्य काल से होगा। अर्थात 'तीन काल' कह देने मात्र से स्पष्ट हो गया कि वर्तमान, भूत एवं भविष्य के बारे में जानकारी दी गई है। जहाँ कहीं इनका प्रयोग होता है तो अर्थ एवं भाव-ग्रहण में बड़ी आसानी होती है।
कुछ संख्यावाचक शब्दों का विशिष्ट और निर्धारित अर्थ होता है। ऐसे संख्यावाचक शब्दों का प्रयोग विशेषार्थ के लिए प्राचीन कवियों या रचनाकारों द्वारा प्रयोग में लाया गया था। पाठकों या विद्यार्थियों को इनके अर्थ ध्यान में रखने चाहिए क्योंकि ज्ञान-वर्धन के लिये इन्हें जानना आवश्यक है।

संख्यावाची शब्दों की सूची

शून्य से बने संख्यावाची शब्द

शून्य — ब्रह्मा, आकाश तथा गणित में एक महत्त्वपूर्ण संख्या, अन्तरिक्ष और दर्शन में अनन्तबोधक।

एक से बने संख्यावाची शब्द

एक — ईश्वर, सूर्य, चन्द्र, पृथ्वी, गणेश का दाँत, शुक्राचार्य की आँख।

दो से बने संख्यावाची शब्द

दो नेत्र ― वाम और दक्षिण।
दो पक्ष — कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष।
दो मार्ग — प्रवृत्ति, निवृत्ति।
दो उपासना के लक्ष्य — निर्गुण, सगुण।
दो अयन — उत्तरायण, दक्षिणायण।
दो विद्यायें — परा, अपरा।
दो पक्ष ― कृष्ण-पक्ष और शुक्ल-पक्ष।

तीन से बने संख्यावाची शब्द

तीन देव — ब्रह्मा, विष्णु, महेश।
तीन अग्नि — जठराग्नि, दावाग्नि, वड़वाग्नि।
तीन दुःख — दैहिक, दैविक, भौतिक।
तीन गुण — सत, रज, तम।
तीन काल — भूतकाल, वर्तमानकाल, भविष्यकाल।
तीन ऋण — देवऋण, ऋषिऋण, पितृऋण।
तीन शरीर — स्थूल, सूक्ष्म, कारण।
तीन प्रकार के कर्मफल — संचित, प्रारब्ध, क्रियमाण।
तीन प्रकार के जीव — जलचर, थलचर, नभचर।
तीन बल — तन, मन, धन।
तीन गुण — सत्व (सत), रज एवं तम।
तीन जीव — जलचर, थलचर, नभचर।
तीन ताप (दुःख) — दैहिक, दैविक तथा भौतिक।
तीन पुर — कर्मलोक, ज्ञानलोक तथा भावलोक।
तीन नित्य-पदार्थ — जीव, ब्रह्म तथा प्रकृति।
तीन मल — आणिव, मायिक तथा कर्म।
तीन दोष (त्रिदोष) — वात, पित्त तथा कफ।
तीन धार्मिक अंग — विद्या, दान तथा यज्ञ।
तीन नाड़ियाँ — इड़ा, पिंगला तथा सुषम्ना।
तीन प्रकार के जीव — मुक्त, मुमुक्ष तथा विषयी।
तीन राम — परशुराम, राम तथा बलराम।
तीन लोक — आकाश, पाताल तथा मृत्युलोक।
तीन वायु — शीतल, मन्द तथा सुगन्धित।
तीन शारीरिक अवस्थाएँ — बाल, यौवन तथा वृद्ध।
तीन सन्ध्याएँ — प्रातः, मध्याह्न तथा सन्ध्या।
तीन स्थलियाँ — काशी, गया तथा प्रयाग।
तीन वैदिक काण्ड — ज्ञान, कर्म तथा उपासना
तीन अवतार ― पूर्णावतार, कलावतार तथा छायावतार।
तीन ऐषणा ― लोकेषणा, वित्तेषणा तथा पुत्रेषणा।
तीन कर्म ― सञ्चित, प्रारब्ध, क्रियमाण।

चार से बने संख्यावाची शब्द

चार वेद — ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।
चार उपवेद — आयुर्वेद, धनुर्वेद, गान्धर्ववेद, स्थापत्य वेद।
चार ब्राह्मण ― शतपथ, गोपथ, ऐतरेय तथा सार्त्त।
चार अवस्था (जीव की) — जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति, तुरीय।
चार अवस्था (विश्व की) — ब्रह्म, ईश्वर, हिरण्यगर्भ, वैश्वानर।
चार अंग (नीति) — साम, दाम, दण्ड, भेद।
चार दिशा — पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण।
चार धाम — बद्रीनाथ, जगन्नाथ, द्वारिका, रामेश्वरम्।
चार शत्रु — काम, क्रोध, लोभ, मोह।
चार प्रकार की सेना — हाथी, घोड़ा, रथ, पैदल।
चार कुमार — सनत, सनन्दन, सनातन, सनत कुमार।
चार अंग सेना के ― पदच्चर, रथचर, अश्वचर, तथा गजचर।
चार अनुभव ― प्रत्यक्ष, अनुमान, शब्द तथा उपमान।
चार अवस्थाएँ ― जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति तथा तुरीय।
चार आश्रम ― ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यास।
चार पुरुषार्थ ― अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष।
चार प्रकार के भक्त ― दुखी, जिज्ञासु, अर्थार्थी तथा ज्ञानी।
चार योनियाँ ― अण्डज्, पिण्डज्, उद्भिज् तथा जरायुज्।
चार मत ― वैष्णव, शैव, शाक्त तथा वेदान्त।
चार युग ― सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग।
चार वर्ण ― ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र।
चार प्रकार की मुक्ति ― सालोक्य, सामीप्य, सारुप्य तथा सायुज्य

पाँच से बने संख्यावाची शब्द

पंच तत्व — पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश।
पाँच प्राण — प्राण, अपान, उदान, व्यान, समान।
पंचदेव — विष्णु, शिव, गणेश, सूर्य, दुर्गा।
पंच कर्मेन्द्रिय — हाथ, पाँव, मुख, लिंग, गुदा।
पंच कन्यायें — अहिल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा, मन्दोदरी।
पंच यम — अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह।
पंचरत्न — सुवर्ण, मोती, हीरा, लाल, नीलम।
पंचनियम — शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय, प्रणिधान।
पंच यज्ञ — ऋषि यज्ञ, देव यज्ञ, भूत यज्ञ, पितृ यज्ञ, अतिथि यज्ञ।
पंचशर (कामदेव के) — मोहित, मस्त, तपन, शुष्क, शिथिल।
पंच लक्षण (विद्यार्थी के) — काक चेष्टा, बकध्यान, श्वाननिद्रा, स्वल्पाहार, गृहत्याग।
पाँच पिता — जनक, उपनेता, श्वसुर, अन्नदाता, भयत्राता।
पाँच माता — जन्म, भूमि, राजपत्नी, आचार्यपत्नी, सास, माता।
पाँच आसन — पद्मासन, भ्रदासन, वज्रासन, वीरासन तथा स्वास्तिकासन।
पाँच गंगा (पंचनद) — गंगा, यमुना, सरस्वती, किरणा तथा धूतपापा।
पाँच कोष — अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय तथा आनन्दमय।
पाँच ज्योति — अग्नि, वायु, आदित्य, चन्द्रमा तथा नक्षत्र।
पाँच भूत — पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि तथा आकाश।
पाँच धातु — जल, औषध, वनस्पति, आकाश तथा आत्मा - चर्म, मांस, नाड़ी, हड्डी तथा मज्जा।
पाँच नक्षत्र — श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वभद्रा तथा उत्तर भद्रा।
पाँच पाण्डव — युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव।
पाँच लोक — पृथ्वी, अन्तरिक्ष, सूर्य, दिशाएँ तथा अवान्तर दिशाएँ।
पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ — आँख, कान, नाक, जीभ तथा त्वचा।
पाँच महायज्ञ — सन्ध्या, पितृयज्ञ, अग्निहोत्र, बलि तथा वैश्वदैव।
पाँच लक्षण (विद्यार्थी के) — काक-चेष्टा, बक-ध्यान, स्वान-निद्रा, अल्पहारी तथा गृहत्यागी।
पाँच यम — अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह।
पाँच शत्रु — काम, क्रोध, मद, मोह तथा लोभ।
पाँच देव — विष्णु, शिव, गणेश, दुर्गा तथा सूर्य।
पाँच गव्य (अमृत) — दुग्ध, दधि, घृत, चीनी तथा मधु।
पाँच नियम — शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर-प्राणिधान।
पाँच अँगुलियाँ ― अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनमिका तथा कनिष्ठिका।

छः से बने संख्यावाची शब्द

छः शाख — न्याय, वैशेषिक, योग, सांख्य, मीमांसा, वेदान्त।
छः रस — मधुर, अम्ल, लवण, कटु, कषाय, तिक्त। (इन्हीं को क्रमशः मीठा, खट्टा, खारी (नमकीन), कडुवा, कसैला और तीखा (चटपटा) कहते हैं।
छः दुख — गर्भ, जन्म, रोग, जरा, क्षुधा, मरण (दुख)।
छः शत्रु — काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ तथा मत्सर।
छः शास्त्र (दर्शन) — सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, कर्म-मीमांसा (या पूर्व मीमांसा या मीमांसा) और ब्रह्म मीमांसा या उत्तर मीमांसा। (इन्हें षड्दर्शन भी कहते हैं।)
छः ऋतु — वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त तथा शिशिर।
छः चक्र — मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्ध और आज्ञाचक्र।
छः राग — श्रीवसन्त, पंचम, भैरव, मेघ, नर तथा नारायण।
छ: वेदांग — शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द तथा ज्योतिष।
छः इतियाँ — अतिवृष्टि, अनावृष्टि, शलभ, मूषक, राजाक्रमण तथा खगवृन्द।
छः जीवीय गुण ― इच्छा, द्वेष, ज्ञान, प्रयत्न, सुख तथा दुःख।

सात से बने संख्यावाची शब्द

सात स्वर — षडज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद। प्रकृतस्वर (सा, रे, गा, म, प, ध, नी)।
सप्तद्वीप — जम्बू, प्लक्ष, कुश, शाल्मली, क्रौञ्च, शक, पुष्कर।
सप्तसागर — क्षीर, दधि, घृत, इच्छु, मधु, मदिरा, लवण।
सप्तऋषि — गौतम, भरद्वाज, विश्वामित्र, जमदग्नि, वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि।
सप्तदोष — आलस्य, निद्रा, भय (महाचिन्ता), स्वाद, हठ, काम, मन्द बुद्धि।
सात पुरी ― अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अवन्तिका तथा द्वारिकापुरी।
सात चिरंजीवी ― अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान्, विभीषण, कृपाचार्य तथा परशुराम।
सात आश्चर्य ― मिस्र के पिरामिड (ऊँचाई 482 फुट), बेबीलोन के झूलते हुए बगीचे, ओलिम्पिया में जूपीटर की प्रतिमा, ईफेसिस-स्थित आर्टेमिस, देवी डायना का मन्दिर, हैली कारनेसू का मकबरा, रोड्स स्थित विशाल मूर्ति और एलेक्जेण्ड्रिया-स्थित द्वीप स्तम्भ।
सप्त स्वर्ग ― भू, भुवः, स्वः, महः, जल, तप तथा सत्य।
सप्त पाताल ― अतल, सुतल, तलातल, वितल, महातल, रसातल तथा पाताल।
सप्त धातु (वैद्यक के अनुसार) ― रस, रक्त, मांस, मेद, धातुएँ, मज्जा, शुक्र।
सात विद्यानाशक ― निद्रा, आलस्य, स्वाद, सुख, काम, चिन्ता तथा केलि।
सात सुख ― खान, पान, परिधान, ज्ञान, गान, शोभा तथा संयोग।
सात रंग ― लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, आसमानी तथा बैंगनी।
सात वार ― रवि, सोम, मंगल, बुद्ध, गुरु, शुक्र तथा शनि।

आठ से बने संख्यावाची शब्द

अष्ट सिद्धियाँ — अणिमा, गरिमा, महिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।
आठ (मूर्ख के)लक्षण — साहस, अनृत, चपलता, माया, भय, अविवेक, अशौच, अदाया (कठोरता)।
अष्टांग योग — यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि।
अष्ट धातु — सोना, चाँदी, ताँबा, पीतल, लोहा, सीसा, काँसा, राँगा।
अष्ट छाप के कवि — सूरदास, कृष्णदास, परमानन्ददास, कुम्भनदास, चतुर्भुजदास, छीतस्वामी, गोविन्ददास, नन्ददास।
आठ प्रकार के विवाह — ब्राह्य, देव, आर्ष, प्राजापत्य, आसुर, गान्धर्व, पैशाच, स्वयंवर।
आठ वसु — पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, सूर्य, चन्द्र, मंगल।
आठ प्रकार की अवस्था ― कौमार, पौगण्ड, कैशोर, यौवन, बाल, तरुण, वृद्ध तथा वर्षीयान।
अष्ट गण ― यगण, मगण, तगण, रगण, लगण, भगण, नगण तथा सगण।
आठ अंगों द्वारा प्रणाम ― उर, सिर, जानु, भुजा, हस्त, चरण, मन तथा वचन।

नौ से बने संख्यावाची शब्द

नौ भक्ति (नवधा भक्ति) — श्रवण, मनन कीर्तन, पाद-सेवन, अर्चन, वन्दन, सख्य, दास्य, आत्मनिवेदन।
नौ रत्न — हीरा, माणिक, पन्ना, मोती, गोमेद, मूंगा, पुखराज, लहसुनिया, नीलम।
नौ ग्रह — सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।
नौ रस (काव्य) — श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत, शान्त।
नौ गुण (ब्राह्मणों के) — पवित्रता, तप, सन्तोष, सत्य कथन, शील, दृढ़ प्रतिज्ञता, दान, धर्मशीलता, दयालुता।
नौ निधि — पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुन्द, कन्द, नील, खर्व।
नौ रत्न विक्रम-सभा के ― धन्वन्तरि, क्षपणक, अमर सिंह, तेताल-भट्ट, शंकु, वराहमिहिर, घटखर्पर, कालिदास तथा वररुचि।
नौ रत्न (अकबर के दरबार के) ― बीरबल, तानसेन, टोडरमल, फैजी, मान सिंह, मुल्ला दो प्याजा, अब्दुर्रहीम खानखाना, हक़ीम तथा हुनाम।
नौ रत्न (हिन्दी-साहित्य के) ― कबीर, तुलसी, सूर, देव, भूषण, मतिराम, बिहारी, चन्दबरदाई, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र।
नौ द्रव्य ― पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, काल, दिक्, आत्मा तथा मन।
नौ विष ― वत्सनाम, हारिद्रक, सक्तुक, प्रदीपन, सौराष्ट्रिक, श्रृंगक, कालकूट, हलाहल और ब्रह्मपुत्र।
नौ शक्ति ― प्रभा, मया, जया, सूक्ष्मा, विशुद्धा, नन्दिनी, सुप्रभा, विजया तथा सर्वसिद्धिदात्री।
नौ कुमारियाँ ― कुमारिका, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, काली, चण्डिका, शाम्भवी, दुर्गा तथा सुभद्रा।
नौ खण्ड ― भारत, इलावृत, किंपुरुष, भद्र, केतुमाल, हरि, हिरण्य, रम्य तथा कुश।
नौ द्वार ― दो नेत्र, नाक के दोनों छिद्र, मुख, दो कान और दोनों गुप्त इन्द्रियाँ।
नौ दुर्गा ― शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री, दुर्गा।

दस से बने संख्यावाची शब्द

दस धर्म लक्षण — धृति, क्षमा, शौच, दम, अस्तेय, इन्द्रियनिग्रह, धी (बुद्धि), विद्या, सत्य, अक्रोध।
दस दिगपाल — गरुड़ध्वज, गोविन्द, पवन, अग्नि, ईश, राक्षस, यम, सुरपति, धनद, वरुण।
दस दिशायें — पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, आग्रेय, नैऋत्य, वायव्य, आकाश (ऊपर), पाताल (नीचे)।
दस वायु ― प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान, नाग, कूर्म, कृकट, देवदत्त तथा धनंजय।
दस रन्ध्र ― नेत्र-2, कान-2, नासा-2, मुख-1, गुप्तेन्द्रिय- 2 तथा ब्रह्मरन्ध्र-1
दस इन्द्रियाँ ― पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँच कर्मेन्द्रियाँ।
दस गुण माधुर्य के ― रूप, लावण्य, सौन्दर्य, माधुर्य, सौकुमार्य, यौवन, सुगन्ध, सुवेश, भाग्य, स्वच्छता तथा उज्ज्वलता।
दस लक्षण (धर्म के) ― धृति, क्षमा, दम, अस्तेय, शौच, इन्द्रिय-निग्रह, धी, विद्या, सत्य तथा अक्रोध।
दस अवतार ― मत्स्य, कूर्म, वाराह, नृसिह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध तथा कल्कि।
दस संन्यासी ― तीर्थ, आश्रम, वन, अरण्य, गिरि, पर्वत, सागर, सरस्वती, भारती तथा पुरी।
दस दिग्पाल ― गरुणध्वज, गोविन्द, अग्नि, पवन, ईश, राक्षस, यक्ष, सुरपति, धनद तथा वरुण।
दस उपनिषद् ― ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, ऐतेरेय, तैत्तिरीय, छान्दोग्य, वृहदारण्यक और माण्डूक्य।
दस प्रजापति ― मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलत्स्य, पुलह, कृतु, प्रचेतादक्ष, वसिष्ठ, भृगु और दारदस।
दस गुण बुद्ध के ― दान, शील, क्षमा, वीर्य, ध्यान, पूजा, बल, उपाय, सत्य और प्रणिधि।

ग्यारह से बने संख्यावाची शब्द

ग्यारह रुद्र — प्राण, अपान, व्यान, समान, उदान, नाग, कूर्म, कुकल, देवदत्त, धंनजय, आत्मा।
ग्यारह अवस्थाएँ (विरह की) ― अभिलाषा, चिन्ता, स्मरण, गुणकथन, उद्वेग, प्रलाप, उन्माद, व्याधि, जड़ता, मूर्च्छा तथा मरण।

बारह से बने संख्यावाची शब्द

बारह भूषण — नूपुर, किंकिनी, हार, नथ, चूड़ी, अँगूठी, शीशफूल, कंकण, कण्ठश्री, बाजूबन्द, टीका, बिन्दी।
बारह राशियाँ — मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, मीन।
बारह आदित्य — दिव, वृहद्भानु, रवि, चक्षु, ऋचीक, भानु, विभावसु, अर्क, आज्ञा, सवह, सविता, सद्य, आत्मा।
सूर्य की बारह कलाएँ ― घुम्ना, तापिनी, मारीची, ज्वालिनी, रुचि, सुषुम्ण, भोगदा, क्षमा, धारिणी, विश्वा तथा बोधिनी।
बारह आदित्य ― वरुणी, मित्र, रुद्र, विवस्वान, शिव, विष्णु, अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, मग तथा धाता।

तेरह से बने संख्यावाची शब्द

तेरह उपनिषद् ― ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक, कौशीतकी, मैत्रायणी, श्वेताश्वतर।

चौदह से बने संख्यावाची शब्द

चौदह लोक — तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भूलोक, भुवलोक, स्वर्गलोक, महलोक, जनलोक, तपलोक, सत्यलोक।
चौदह विद्या — ब्रह्मज्ञान, रसायन, श्रुति, वैद्यक, ज्योतिष, व्याकरण, धनुर्विद्या, जलतरंग, संगीत, नाटक, घुड़सवारी, कोकशास्त्र, चोरी, चातुर्य।
चौदह रत्न — श्री, कौस्तुभ मणि, रम्भा, वारूणी, अमृत, शंख, विष, ऐरावत हाथी, धन्वन्तरि, कामधेनु, कल्पवृक्ष, चन्द्रमा, उच्चैश्रवा घोड़ा, धनुष।
चौदह मनु ― स्वायंभुव, स्वारोचिस, उत्तम, तमस, रैवत, चक्षसखवैवस्वत, सावर्णि, दक्ष, सावर्णि, धर्म सावर्णि, रुद्र सावर्णि, दक्ष सावर्णि, इंद्र सावर्णि और ब्रह्मा सावर्णि।
चौदह यम ― धर्मराज, मृत्यु, अतंक, वैवस्वत, नील, काल, सर्वभट्ट, क्षय, उदुबर, दघ्न, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त।

पन्द्रह से बने संख्यावाची शब्द

पन्द्रह तिथियाँ ― प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या या पूर्णिमा।

सोलह से बने संख्यावाची शब्द

सोलह श्रृंगार — अंग, शौच, मञ्जन, दिव्यवस्त्र, महावर, केश, माँग, ठोढ़ी, माथा, मेंहदी, उबटन, भूषण, सुगन्ध, मुखराग, दन्तराग, अधरराग, काजल।
सोलह संस्कार — गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, कर्णछेदन, उपनयन, वेदारम्भ, विवाह, समावर्तन, वानप्रस्थ, संन्यास, अन्त्येष्टि।
सोलह प्रकार की पूजाविधि ― आवाहन, स्थापना, पाद्य, सिंहासन, अर्घ्य, आचमन, स्नान, चंदन, फूल, दीप, धूप, नैवेद्य, तांबूल, प्रदक्षिणा, नमस्कार और आरती।
सोलह कलाएँ ― अमृता, मनदा, पूषा, तुष्टि, पुष्टि, रति, धृति, शशिनी, चंद्रिका, कांति ज्योत्सना, श्री, प्रीति, अंगदा, पूर्णा और पूर्णामृता।

अठारह से बने संख्यावाची शब्द

अठारह पुराण — ब्रह्म, विष्णु, शिव, पद्म, श्रीमद्भागवत, नारद, मार्कण्डेय, अग्नि, भविष्य, ब्रह्मवैवर्त, लिंग, वाराह, स्कन्द, वामन, कूर्म, मत्स्य, गरुड़, ब्रह्माण्ड।

इक्कीस से बने संख्यावाची शब्द

इक्कीस मूर्च्छनाएँ (संगीत की) ― उत्तरमुद्रा, रजनी, उत्तरायणी, शुद्ध षड्जा, मत्सरीकान्ता, अश्वकान्ता, अभीरुता, शर्तरी, हरिणाश्चा, कपोलनता, मन्दाकिनी, शुद्धमध्या, मार्गी, पौवी नन्दा, विशाला, सौमपी, विचित्रा, रोहिणी, सुखदा तथा अलापी।
इक्कीस गुण (यश के) ― सुशीलता, वात्सल्य, सुलभता, गम्भीरता, क्षमा, दया, करुणा, आर्द्रव, उदारता, आर्यण, प्रीति, करणत्व, सौहार्द्र, चातुर्य, कृतज्ञता, ज्ञान, नीति, लोकप्रियता, कुलीनता, अनुराग और निवर्हणत।
इक्कीस नाड़ियाँ ― शरीर की इक्कीस नाड़ियाँ, जिनमें निम्न दस प्रमुख हैं। इड़ा, पिंगला, सुषम्ना, गन्धारी, हस्तजिह्वा, पुष्प, यशस्विनी, अलम्बुश, कुहू तथा शंखिनी इनमें भी प्रथम तीन अधिक प्रसिद्ध हैं।

चौबीस से बने संख्यावाची शब्द

चौबीस अवतार — सनत्कुमार, वाराह, नारद, नरनारायण, कपिल, दत्तात्रेय, यज्ञपुरुष, ऋषभदेव, पृथु, मत्स्य, कूर्म, धन्वन्तरि, मोहिनी, नृसिंह, वामन, परशुराम, व्यास, हंस, हयग्रीव, राम, कृष्ण, हरि, बुद्ध, कल्कि।

पच्चीस से बने संख्यावाची शब्द

पच्चीस प्रकृति ― (अ) काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा भय (आकाश की)।
(आ) दौड़ना, काँपना, लेटना, चलना तथा संकोच (वायु की)।
(इ) ज्योति, स्वेद, रक्त, लार तथा मूत्र (जल की)।
(ई) प्यास, भूख, मांस, नाड़ियाँ तथा अस्थि (अग्नि की)

सत्ताइस से बने संख्यावाची शब्द

सत्ताइस नक्षत्र — अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती।

तैंतीस से बने संख्यावाची शब्द

तैंतीस सञ्चारी भाव ― निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, श्रम, मद, धृति, आलस्य, विषाद, मति, चिन्ता, मोह, स्वप्न, विबोध, स्मृति, अमर्ष, गर्व, उत्सुकता, अविहत्थ, दीनता, हर्ष, क्रीड़ा, उग्रता, निद्रा, व्याधि, मरण, अपस्मार, आवेग, त्रास, उन्माद, जड़ता, चपलता और वितर्क।
तैंतीस देवता ― 8 बसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य, 1 इन्द्र तथा 1 प्रजापति।

चौंसठ से बने संख्यावाची शब्द

चौंसठ कलाएँ ― गायन, वादन, नर्तन, नाट्य, आलेखन, अल्पना, विशेषक, पुष्पशय्या बनाना, अंगरागादि लेपन, पच्चीकारी, जलक्रीड़ा, शयन करना, जलतरंग बजाना, माला गूँथना, मुकुट बनाना, वेष बदलना, कर्ण-भूषण बनाना, इत्रादि सुगन्धित द्रव्य बनाना, आभूषण धारण करना, इन्द्रजाल करना, असुन्दर को सुन्दर बनाना, हाथ की सफ़ाई, रसोई-कार्य में निपुणता, शर्बत बनाना, सिलाई में दक्षता, कलाबत्तू, पहेली बुझाना, नाटक प्रस्तुत करना, अन्त्याक्षरी, पुस्तक- वाचन, काव्य-समस्यापूर्ति, बेंत की बुनाई, सूत कातना, बढ़ई-गिरी, वास्तुकला, रत्न-परीक्षा, धातु-कर्म, रत्नों की रंग-परीक्षा, आकर ज्ञान, बागवानी, उपवन-विनोद, मेढ़ा पक्षी आदि लड़ाना, पक्षियों की बोलियाँ जानना, मालिश करना, केशमार्जन-कौशल, गुप्त भाषाज्ञान, विदेशी कलाओं का ज्ञान, देशी भाषाओं का ज्ञान, भविष्य कथन में दक्षता, कठपुतली नर्त्तन-विद्या, किसी बात को सुनकर दोहरा देना, आशु काव्य की क्षमता, भाव को उलटा करके कहने में कुशलता, धोखाधड़ी, छलिक नृत्य, अभिधान या कोश-ज्ञान, नक़ाब लगाना, वस्तु-गोपन, द्यूतविद्या, रस्सा-कसी क्रीड़ा, बाल-क्रीड़ा, शिष्टाचार, मन-जीतना अथवा वशीकरण तथा व्यायाम।

अन्य संख्याओं से बने संख्यावाची शब्द

अड़सठ तीर्थ ― हिन्दू-धर्म के अनुसार।
बहत्तर कोष्ठ ― शरीर-विज्ञान के अनुसार।
तैंतीस करोड़ देवता ― हिन्दू-धर्म के अनुसार।
एक हज़ार करोड़ वार्ताएँ ― पुराणों की कथा-वार्ताएँ।
अक्षौहिणी सेना — इसमें 109350 पैदल, 65610 घोडे, 31870रथ, 11870 हाथी होते थे और चतुरंगिनी सेना कहलाती थी।
चौरासी लाख योनियाँ ―
4 लाख मनुष्य योनियाँ
9 लाख जलचर योनियाँ और नभचर
11 लाख कृमियोनियाँ
23 लाख पशुयोनियाँ
37 लाख स्थावर योनियाँ
कुल ― 84 लाख योनियाँ
असंख्य ― लक्ष्मी तारामण्डल

महत्वपूर्ण जानकारी ― अयुत 10 हज़ार के बराबर।
नियुत 01 लाख के बराबर।
प्रयुक्त 10 लाख के बराबर।
अर्बुद 01 करोड़ के बराबर।
न्यर्बुद 10 करोड़ के बराबर होता है।

हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. भाषा का आदि इतिहास - भाषा उत्पत्ति एवं इसका आरंभिक स्वरूप
2. भाषा शब्द की उत्पत्ति, भाषा के रूप - मौखिक, लिखित एवं सांकेतिक
3. भाषा के विभिन्न रूप - बोली, भाषा, विभाषा, उप-भाषा
4. मानक भाषा क्या है? मानक भाषा के तत्व, शैलियाँ एवं विशेषताएँ
5. देवनागरी लिपि एवं इसका नामकरण, भारतीय लिपियाँ- सिन्धु घाटी लिपि, ब्राह्मी लिपि, खरोष्ठी लिपि
6. विश्व की प्रारंभिक लिपियाँ, भारत की प्राचीन लिपियाँ

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1. हिन्दू (हिन्दु) शब्द का अर्थ एवं हिन्दी शब्द की उत्पत्ति
2. व्याकरण क्या है? अर्थ एवं परिभाषा, व्याकरण के लाभ, व्याकरण के विभाग
3. व्याकरण का प्रारम्भ, आदि व्याकरण - व्याकरणाचार्य पणिनि

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1. ध्वनि का अर्थ, परिभाषा, लक्षण, महत्व, ध्वनि शिक्षण के उद्देश्य ,भाषायी ध्वनियाँ
2. वाणी - यन्त्र (मुख के अवयव) के प्रकार- ध्वनि यन्त्र (वाक्-यन्त्र) के मुख में स्थान
3. हिन्दी भाषा में स्वर और व्यन्जन || स्वर एवं व्यन्जनों के प्रकार, इनकी संख्या एवं इनमें अन्तर
4. स्वरों के वर्गीकरण के छः आधार
5. व्यन्जनों के प्रकार - प्रयत्न, स्थान, स्वरतन्त्रिय, प्राणत्व के आधार पर

ध्वनि, वर्णमाला एवं भाषा से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. 'अ' से 'औ' तक हिन्दी स्वरों की विशेषताएँ एवं मुख में उच्चारण स्थिति
2. प्रमुख 22 ध्वनि यन्त्र- स्वर तन्त्रियों के मुख्य कार्य
3. मात्रा किसे कहते हैं? हिन्दी स्वरों की मात्राएँ, ऑ ध्वनि, अनुस्वार, अनुनासिक, विसर्ग एवं हलन्त के चिह्न
4. वर्ण संयोग के नियम- व्यन्जन से व्यन्जन का संयोग
5. बलाघात या स्वराघात क्या है इसकी आवश्यकता, बलाघात के भेद

ध्वनि, वर्णमाला एवं भाषा से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. ध्वनि उच्चारण में 'प्रत्यन' क्या है? प्रयत्नों की संख्या, 'प्रयत्न' के आधार पर हिन्दी व्यन्जन के भेद
2. हिन्दी भाषा के विभिन्न अर्थ
3. हिन्दी भाषा एवं व्याकरण का संबंध
4. हलन्त का अर्थ एवं प्रयोग

शब्द निर्माण एवं प्रकारों से संबंधित प्रकरणों को पढ़ें।
1. शब्द तथा पद क्या है? इसकी परिभाषा, विशेषताएँ एवं महत्त्व।
2. शब्द के प्रकार (शब्दों का वर्गीकरण)
3. तत्सम का शाब्दिक अर्थ एवं इसका इतिहास।
4. तद्भव शब्द - अर्थ, अवधारणा एवं उदाहरण
5. विदेशी/विदेशज (आगत) शब्द एवं उनके उदाहरण
6. अर्द्धतत्सम एवं देशज शब्द किसे कहते हैं?

शब्द निर्माण एवं प्रकारों से संबंधित प्रकरणों को पढ़ें।
1. द्विज (संकर शब्द) किसे कहते हैं? उदाहरण
2. ध्वन्यात्मक या अनुकरण वाचक शब्द किन्हें कहते हैं?
3. रचना के आधार पर शब्दों के प्रकार- रूढ़, यौगिक, योगरूढ़
4. पारिभाषिक, अर्द्धपारिभाषिक, सामान्य शब्द।
5. वाचक, लाक्षणिक एवं व्यंजक शब्द
6. एकार्थी (एकार्थक) शब्द - जैसे आदि और इत्यादि वाक्य में प्रयोग
7. अनेकार्थी शब्द किसे कहते हैं? इनकी सूची
8. पूर्ण एवं अपूर्ण पर्याय शब्द एवं उनके उदाहरण
9. श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द क्या होते हैं एवं शब्द सूची
10. पुनरुक्त (युग्म) शब्द क्या होते हैं? उनके वर्ग

शब्द निर्माण एवं प्रकारों से संबंधित प्रकरणों को पढ़ें।
1. पर्यायवाची शब्द क्या है?शब्दों की सूची
2. विलोम शब्दों की रचना (विलोम बनने के नियम) व शब्द सूची || विलोम शब्दों के अन्य नाम
3. समानार्थी या समानार्थक शब्द किसे कहते हैं? इसकी परिभाषा और विशेषताएँ
4. समानार्थी शब्दों में अर्थभेद, शब्द प्रयोग के आधार पर अर्थ में अंतर
5. हिन्दी वर्णों/अक्षरों के भाग― शिरोरेखा, अर्द्ध पाई, मध्य पाई, अंत पाई, वक्र, मध्यम् रेखा, हलन्त, बिन्दु, मात्रा चिह्न
6. अनेक शब्दों के एक शब्द (समग्र शब्द) क्या है? उपयोगिता, महत्व एवं शब्द सूची

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1. 'स्रोत भाषा' एवं 'लक्ष्य भाषा' क्या होती है? इनकी आवश्यकता एवं प्रयोग
2. दुःख, दर्द, कष्ट, संताप, पीड़ा, वेदना आदि में सूक्ष्म अंतर एवं वाक्य में प्रयोग
3. झण्डा गीत - झण्डा ऊँचा रहे हमारा।
4. घमण्ड, अहंकार, दम्भ, दर्प, गर्व, अभिमान, अहम् एवं अहंमन्यता शब्दों में सूक्ष्म अंतर एवं वाक्य में प्रयोग

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. शब्द– तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी | रुढ़, यौगिक और योगरूढ़ | अनेकार्थी, शब्द समूह के लिए एक शब्द
2. हिन्दी शब्द- पूर्ण पुनरुक्त शब्द, अपूर्ण पुनरुक्त शब्द, प्रतिध्वन्यात्मक शब्द, भिन्नार्थक शब्द
3. मुहावरे और लोकोक्तियाँ
4. समास के प्रकार | समास और संधि में अन्तर | What Is Samas In Hindi
5. संधि - स्वर संधि के प्रकार - दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण और अयादि

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. व्यंजन एवं विसर्ग संधि | व्यंजन एवं संधि निर्माण के नियम
2. योजक चिह्न- योजक चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ, कब और कैसे होता है?
3. वाक्य रचना में पद क्रम संबंधित नियम
4. द्विरुक्ति शब्द क्या हैं? द्विरुक्ति शब्दों के प्रकार
5. प्रेरणार्थक / प्रेरणात्मक क्रिया क्या है ? || इनका वाक्य में प्रयोग

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. पूर्ण विराम का प्रयोग कहाँ होता है || निर्देशक एवं अवतरण चिह्न के उपयोग
2. शब्द शक्ति- अभिधा शब्द शक्ति, लक्षणा शब्द शक्ति एवं व्यंजना शब्द शक्ति
3. रस क्या है? || रस के स्थायी भाव || शान्त एवं वात्सल्य रस
4. रस के चार अवयव (अंग) – स्थायीभाव, संचारी भाव, विभाव और अनुभाव
5. छंद में मात्राओं की गणना कैसे करते हैं?

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. घनाक्षरी छंद और इसके उदाहरण
2. काव्य में 'प्रसाद गुण' क्या होता है?
3. अपहनुति अलंकार किसे कहते हैं? || विरोधाभास अलंकार
4. भ्रान्तिमान अलंकार, सन्देह अलंकार, पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार
5. समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द– अपेक्षा, उपेक्षा, अवलम्ब, अविलम्ब शब्दों का अर्थ

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य क्या होते हैं?
2. कुण्डलियाँ छंद क्या है? इसकी पहचान एवं उदाहरण
3. हिन्दी में मिश्र वाक्य के प्रकार (रचना के आधार पर)
4. मुहावरे और लोकोक्ति का प्रयोग कब और क्यों किया जाता है?
5. राष्ट्रभाषा क्या है और कोई भाषा राष्ट्रभाषा कैसे बनती है? || Hindi Rastrabha का उत्कर्ष

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार
2. भाषा के विविध स्तर- बोली, विभाषा, मातृभाषा || भाषा क्या है?
3. अपठित गद्यांश क्या होता है और किस तरह हल किया जाता है
4. वाच्य के भेद - कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य
5. भाव-विस्तार (भाव-पल्लवन) क्या है और कैसे किया जाता है?

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. मध्यप्रदेश की प्रमुख बोलियाँ एवं साहित्य- पत्र-पत्रिकाएँ
2. छंद किसे कहते हैं? || मात्रिक - छप्पय एवं वार्णिक छंद - कवित्त, सवैया
3. काव्य गुण - ओज-गुण, प्रसाद-गुण, माधुर्य-गुण
4. अलंकार – ब्याज-स्तुति, ब्याज-निन्दा, विशेषोक्ति, पुनरुक्ति प्रकाश, मानवीकरण, यमक, श्लेष
5. रसों का वर्णन - वीर, भयानक, अद्भुत, शांत, करुण

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. संज्ञा क्या है? | संज्ञा के प्रकार– व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, द्रव्यवाचक, समूहवाचक, भाववाचक
2. संज्ञा से सर्वनाम, विशेषण और क्रिया कैसे बनते हैं?
3. सर्वनाम क्या है? | संज्ञा और सर्वनाम में अन्तर || सर्वनाम के प्रकार
4. पुरूषवाचक सर्वनाम – उत्तमपुरूष, मध्यमपुरूष और अन्यपुरूष
5. निजवाचक सर्वनाम क्या होते हैं?

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. निश्चयवाचक सर्वनाम और अनिश्चयवाचक सर्वनाम क्या होते हैं?
2. सम्बन्धवाचक सर्वनाम और प्रश्नवाचक सर्वनाम क्या होते हैं?
3. संयुक्त सर्वनाम क्या होते हैं?
4. विशेषण किसे कहते हैं? | विशेषण के प्रकार एवं उसकी विशेषताएँ
5. गुणवाचक विशेषण और संकेतवाचक (सार्वनामिक) विशेषण

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. संख्यावाचक विशेषण | निश्चित और अनिश्चित विशेषण || पूर्णांकबोधक और अपूर्णांकबोधक विशेषण
2. परिमाणवाचक, व्यक्तिवाचक और विभागवाचक विशेषण
3. भाषा क्या है? | भाषा की परिभाषाएँ और विशेषताएँ
4. अलंकार क्या है? | वक्रोक्ति, अतिशयोक्ति और अन्योक्ति अलंकार
5. उपमा, रूपक और उत्प्रेक्षा अलंकार

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार क्या होते हैं?
2. प्रत्यय क्या है? | कृदन्त और तदिधत प्रत्यय || महत्वपूर्ण प्रत्यय एवं उनके उदाहरण
3. व्याजस्तुति अलंकार और व्याजनिन्दा अलंकार क्या होते हैं?
4. स्थानांतरण प्रमाण पत्र हेतु आवेदन पत्र कैसे लिखें ?

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. शब्द– तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी | रुढ़, यौगिक और योगरूढ़ | अनेकार्थी, शब्द समूह के लिए एक शब्द
2. हिन्दी शब्द- पूर्ण पुनरुक्त शब्द, अपूर्ण पुनरुक्त शब्द, प्रतिध्वन्यात्मक शब्द, भिन्नार्थक शब्द
3. मुहावरे और लोकोक्तियाँ
4. समास के प्रकार | समास और संधि में अन्तर | What Is Samas In Hindi
5. संधि - स्वर संधि के प्रकार - दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण और अयादि

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. व्यंजन एवं विसर्ग संधि | व्यंजन एवं संधि निर्माण के नियम
2. योजक चिह्न- योजक चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ, कब और कैसे होता है?
3. वाक्य रचना में पद क्रम संबंधित नियम
4. द्विरुक्ति शब्द क्या हैं? द्विरुक्ति शब्दों के प्रकार
5. प्रेरणार्थक / प्रेरणात्मक क्रिया क्या है ? || इनका वाक्य में प्रयोग

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. पूर्ण विराम का प्रयोग कहाँ होता है || निर्देशक एवं अवतरण चिह्न के उपयोग
2. शब्द शक्ति- अभिधा शब्द शक्ति, लक्षणा शब्द शक्ति एवं व्यंजना शब्द शक्ति
3. रस क्या है? || रस के स्थायी भाव || शान्त एवं वात्सल्य रस
4. रस के चार अवयव (अंग) – स्थायीभाव, संचारी भाव, विभाव और अनुभाव
5. छंद में मात्राओं की गणना कैसे करते हैं?

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. घनाक्षरी छंद और इसके उदाहरण
2. काव्य में 'प्रसाद गुण' क्या होता है?
3. उपमा अलंकार एवं उसके अंग
4. अपहनुति अलंकार किसे कहते हैं? || विरोधाभास अलंकार
5. भ्रान्तिमान अलंकार, सन्देह अलंकार, पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार
6. समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द– अपेक्षा, उपेक्षा, अवलम्ब, अविलम्ब शब्दों का अर्थ

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1. प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य क्या होते हैं?
2. कुण्डलियाँ छंद क्या है? इसकी पहचान एवं उदाहरण
3. हिन्दी में मिश्र वाक्य के प्रकार (रचना के आधार पर)
4. मुहावरे और लोकोक्ति का प्रयोग कब और क्यों किया जाता है?
5. राष्ट्रभाषा क्या है और कोई भाषा राष्ट्रभाषा कैसे बनती है? || Hindi Rastrabha का उत्कर्ष

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार
2. भाषा के विविध स्तर- बोली, विभाषा, मातृभाषा || भाषा क्या है?
3. अपठित गद्यांश क्या होता है और किस तरह हल किया जाता है
4. वाच्य के भेद - कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य
5. भाव-विस्तार (भाव-पल्लवन) क्या है और कैसे किया जाता है?

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. मध्यप्रदेश की प्रमुख बोलियाँ एवं साहित्य- पत्र-पत्रिकाएँ
2. छंद किसे कहते हैं? || मात्रिक - छप्पय एवं वार्णिक छंद - कवित्त, सवैया
3. काव्य गुण - ओज-गुण, प्रसाद-गुण, माधुर्य-गुण
4. अलंकार – ब्याज-स्तुति, ब्याज-निन्दा, विशेषोक्ति, पुनरुक्ति प्रकाश, मानवीकरण, यमक, श्लेष
5. रसों का वर्णन - वीर, भयानक, अद्भुत, शांत, करुण

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. संज्ञा क्या है? | संज्ञा के प्रकार– व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, द्रव्यवाचक, समूहवाचक, भाववाचक
2. संज्ञा से सर्वनाम, विशेषण और क्रिया कैसे बनते हैं?
3. सर्वनाम क्या है? | संज्ञा और सर्वनाम में अन्तर || सर्वनाम के प्रकार
4. पुरूषवाचक सर्वनाम – उत्तमपुरूष, मध्यमपुरूष और अन्यपुरूष
5. निजवाचक सर्वनाम क्या होते हैं?

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. निश्चयवाचक सर्वनाम और अनिश्चयवाचक सर्वनाम क्या होते हैं?
2. सम्बन्धवाचक सर्वनाम और प्रश्नवाचक सर्वनाम क्या होते हैं?
3. संयुक्त सर्वनाम क्या होते हैं?
4. विशेषण किसे कहते हैं? | विशेषण के प्रकार एवं उसकी विशेषताएँ
5. गुणवाचक विशेषण और संकेतवाचक (सार्वनामिक) विशेषण

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. संख्यावाचक विशेषण | निश्चित और अनिश्चित विशेषण || पूर्णांकबोधक और अपूर्णांकबोधक विशेषण
2. कार्यालयों में फाइलिंग (नस्तीकरण) क्या है?
3. राष्ट्रीय गीत "वन्दे मातरम" का हिन्दी अनुवाद।
4. संयुक्त व्यन्जन किसे कहते हैं इनके उदाहरण
5. हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्णों में रकार लग सकता है?
6. अ और आ का उच्चारण स्थान एवं संबंधित तथ्य
7. अनुतान क्या है? अनुतान के उदाहरण एवं प्रकार

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. व्याकरण क्या है
2. वर्ण क्या हैं वर्णोंकी संख्या
3. वर्ण और अक्षर में अन्तर
4. स्वर के प्रकार
5. व्यंजनों के प्रकार-अयोगवाह एवं द्विगुण व्यंजन
6. व्यंजनों का वर्गीकरण
7. अंग्रेजी वर्णमाला की सूक्ष्म जानकारी

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. लिपियों की जानकारी
2. शब्द क्या है
3. लोकोक्तियाँ और मुहावरे
4. रस के प्रकार और इसके अंग
5. छंद के प्रकार– मात्रिक छंद, वर्णिक छंद
6. विराम चिह्न और उनके उपयोग
7. अलंकार और इसके प्रकार

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. शब्द क्या है- तत्सम एवं तद्भव शब्द
2. देशज, विदेशी एवं संकर शब्द
3. रूढ़, योगरूढ़ एवं यौगिक शब्द
4. लाक्षणिक एवं व्यंग्यार्थक शब्द
5. एकार्थक शब्द किसे कहते हैं ? इनकी सूची
6. अनेकार्थी शब्द क्या होते हैं उनकी सूची
7. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (समग्र शब्द) क्या है उदाहरण
8. पर्यायवाची शब्द सूक्ष्म अन्तर एवं सूची
9. शब्द– तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी, रुढ़, यौगिक, योगरूढ़, अनेकार्थी, शब्द समूह के लिए एक शब्द
10. हिन्दी शब्द- पूर्ण पुनरुक्त शब्द, अपूर्ण पुनरुक्त शब्द, प्रतिध्वन्यात्मक शब्द, भिन्नार्थक शब्द
11. द्विरुक्ति शब्द क्या हैं? द्विरुक्ति शब्दों के प्रकार

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. 'ज' का अर्थ, द्विज का अर्थ
2. भिज्ञ और अभिज्ञ में अन्तर
3. किन्तु और परन्तु में अन्तर
4. आरंभ और प्रारंभ में अन्तर
5. सन्सार, सन्मेलन जैसे शब्द शुद्ध नहीं हैं क्यों
6. उपमेय, उपमान, साधारण धर्म, वाचक शब्द क्या है.
7. 'र' के विभिन्न रूप- रकार, ऋकार, रेफ
8. सर्वनाम और उसके प्रकार

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. समास के प्रकार, समास और संधि में अन्तर
2. संधि - स्वर संधि के प्रकार - दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण और अयादि
3. वाक्य – अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार
4. योजक चिह्न- योजक चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ, कब और कैसे होता है?
5. वाक्य रचना में पद क्रम संबंधित नियम
6. कर्त्ता क्रिया की अन्विति संबंधी वाक्यगत अशुद्धियाँ

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. विराम चिन्हों का महत्व
2. पूर्ण विराम का प्रयोग कहाँ होता है || निर्देशक एवं अवतरण चिह्न के उपयोग
3. लोकोक्ति और मुहावरे में अंतर भाषा में इनकी उपयोगिता
4. प्रेरणार्थक / प्रेरणात्मक क्रिया क्या है ? इनका वाक्य में प्रयोग
5. पुनरुक्त शब्द एवं इसके प्रकार | पुनरुक्त और द्विरुक्ति शब्दों में अन्तर

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. गज़ल- एक साहित्य विधा
2. शब्द शक्ति- अभिधा शब्द शक्ति, लक्षणा शब्द शक्ति एवं व्यंजना शब्द शक्ति
3. रस क्या है? शांत रस एवं वात्सल्य रस के उदाहरण
4. रस के चार अवयव (अंग) – स्थायीभाव, संचारी भाव, विभाव और अनुभाव
5. छंद में मात्राओं की गणना कैसे करते हैं?

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. घनाक्षरी छंद और इसके उदाहरण
2. काव्य का 'प्रसाद गुण' क्या होता है?
3. अपहनुति अलंकार किसे कहते हैं? एवं विरोधाभास अलंकार
4. भ्रान्तिमान अलंकार, सन्देह अलंकार, पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार
5. समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द– अपेक्षा, उपेक्षा, अवलम्ब, अविलम्ब शब्दों का अर्थ

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य क्या होते हैं?
2. कुण्डलियाँ छंद क्या है? इसकी पहचान एवं उदाहरण
3. हिन्दी में मिश्र वाक्य के प्रकार (रचना के आधार पर)
4. मुहावरे और लोकोक्ति का प्रयोग कब और क्यों किया जाता है?
5. राष्ट्रभाषा क्या है और कोई भाषा राष्ट्रभाषा कैसे बनती है?

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1.अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार
2. पुनरुक्त शब्दों को चार श्रेणियाँ
3. भाषा के विविध स्तर- बोली, विभाषा, मातृभाषा
4. अपठित गद्यांश कैसे हल करें?
5. वाच्य के भेद - कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. भाव-विस्तार (भाव-पल्लवन) क्या है और कैसे किया जाता है?
2. राज भाषा क्या होती है, राष्ट्रभाषा और राजभाषा में क्या अंतर है?
3. छंद किसे कहते हैं? मात्रिक - छप्पय एवं वार्णिक छंद - कवित्त, सवैया
4. काव्य गुण - ओज-गुण, प्रसाद-गुण, माधुर्य-गुण
5. अलंकार – ब्याज-स्तुति, ब्याज-निन्दा, विशेषोक्ति, पुनरुक्ति प्रकाश, मानवीकरण, यमक, श्लेष

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. रस के अंग – स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव, संचारी भाव
2. रसों का वर्णन - वीर, भयानक, अद्भुत, शांत, करुण
3. काव्य के भेद- श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य, प्रबंध काव्य, मुक्तक काव्य, पाठ्य मुक्तक, गेय मुक्तक, नाटक, एकांकी
4. अकर्मक और सकर्मक क्रियाएँ, अकर्मक से सकर्मक क्रिया बनाना
5. योजक चिह्न (-) का प्रयोग क्यों और कहाँ होता है?
6. 'पर्याय' और 'वाची' शब्दों का अर्थ एवं पर्यायवाची और समानार्थी शब्दों में अंतर
7. 'हैं' व 'हें' तथा 'है' व 'हे' के प्रयोग तथा अन्तर || 'हैं' और 'है' में अंतर || 'हैं' एकवचन कर्ता के साथ भी प्रयुक्त होता है
8. अनुनासिक और निरनुनासिक में अंतर
9. हिन्दी की क्रियाओं के अन्त में 'ना' क्यों जुड़ा होता है? मूल धातु एवं यौगिक धातु
10. अनुस्वार युक्त वर्णों का उच्चारण कैसे करें?

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. मित्र को पत्र कैसे लिखें?
2. परिचय का पत्र लेखन
3. पिता को पत्र कैसे लिखें?
4. माताजी को पत्र कैसे लिखें? पत्र का प्रारूप
5. प्रधानपाठक को छुट्टी के लिए आवेदन पत्र
6. कक्षाध्यापक को छुट्टी के लिए आवेदन पत्र।
7. विभिन्न कारणों से छुट्टी के लिए आवेदन पत्र
8. स्थानांतरण प्रमाण पत्र हेतु आवेदन पत्र कैसे लिखें ?
9. स्थानांतरण प्रमाण पत्र की द्वितीय प्रति प्राप्त करने हेतु आवेदन
10. अवकाश हेतु आवेदन का प्रारुप
11. सरकारी पत्र क्या होते हैं? इनकी विशेषताएँ एवं प्रारूप

I Hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfhindi.com

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