वाचक / वाच्यार्थक / अभिधार्थ, लाक्षणिक / लक्षक / लक्ष्यार्थ, व्यन्जक / व्यंग्यार्थं शब्द - (शब्द-शक्ति के आधार पर) || Vachak, Lakshanik, Vyanjak Shabd
वाचक शब्द
'वाचक' शब्द को 'वाच्यार्थक' या 'अभिधार्थ' शब्द भी कहा जाता है। वाचक का अर्थ होता है - अर्थ देने वाला / जानकारी बताने वाला या आशय प्रदान करने वाला। वाचक शब्द वे शब्द होते हैं जो शब्द के मुख्य या सीधा अर्थ को बताते हैं। आशय यह है जब किसी शब्द का प्रचलित अर्थ लिया जाता है, तो वह 'वाचक' या 'वाच्यार्थक' शब्द कहलाता है।
उदाहरण - गाय, गधा, कुत्ता, उल्लू, चाबी, गंगा काला आदि।
वाक्य में प्रयोग देखें -
(i) गाय का दूध स्वादिष्ट होता है।
(ii) धोबी के पास एक गधा है।
(iii) कुत्ता एक वफादार जानवर है।
(iv) उल्लू अक्सर रात में विचरण करते हैं।
(v) यह इसी ताले की चाबी है।
(vi) गंगा एक पवित्र नदी है।
(vii) कोयला काला होता है।
उपरोक्त वाक्यों में गाय, गधा, कुत्ता पशु का, उल्लू एक पक्षी का, चाबी एक लोहे की वस्तु का, गंगा एक नदी का एवं काला एक रंग का बोध कराते हैं। अतः यहाँ ये सभी शब्द वाचक शब्द हैं।
शब्द शक्ति - 'वाचक' शब्द की शब्दशक्ति 'अभिधा' है। किसी शब्द में अभिधा शक्ति केवल एक अर्थ का ही बोध कराती है। उक्त शब्दों में 'गाय' शब्द से एक ही अर्थ का बोध होता है - एक पशु विशेष।
इसी तरह एक अन्य शब्द 'सूरज' लें तो इसके भी एक ही अर्थ का वाचक होता है - आकाश में प्रकाश करने वाला एक बड़ा प्रकाश पुञ्ज अर्थात तारा।
इसी तरह पुस्तक, कलम, थैला, कुआँ, अलमारी, पर्दा, पंखा, आदमी, औरत, नहर, बादल, आसमान, गाँव, शहर आदि वाच्यार्थक शब्दों के उदाहरण हैं।
लाक्षणिक शब्द
'लाक्षणिक' शब्द को 'लक्षक' या 'लक्ष्यार्थ' भी कहते हैं। कोई शब्द लाक्षणिक शब्द तब कहलाता है जब वह किसी वस्तु विशेष के गुणों को दर्शाते हुए विशेष अर्थ में प्रयुक्त होते हैं।
ऊपर प्रयुक्त 'वाचक' शब्दों - गाय, गधा, कुत्ता, उल्लू, चाबी, गंगा काला को वाक्यों में इस तरह प्रयुक्त किया जाए -
(i) रामलाल की बहू तो गाय है।
(ii) ये लड़का निरा गधा है।
(iii) इस कुत्ते के मुँह मत लगो।
(iv) मुझे शb>उल्लू मत बनाओ।
(v) इसी पुस्तक में चाबी छिपी हुई है।
(vi) स्त्री एक गंगा है।
(vii) पता चला, उसका मन कितना काला है।
तो ये सारे शब्द 'लाक्षणिक' शब्द की श्रेणी में आ जाते हैं क्योंकि ये शब्द अपनी विशेषताओं के आधार पर अन्य अर्थ को प्रकट करते हैं। या यूँ कहें अपने अर्थ के समान गुण का बोध कराते हैं।
जैसे - उक्त वाक्यों में 'गाय' से आशय सीधा-साधा। 'गधा' से आशय मूर्ख। 'कुत्ता' से आशय ऐसा व्यक्ति जो बिना किसी की सुने तेज आवाज में चिल्लाये। 'उल्लू' का आशय मूर्ख। 'चाबी' का आशय गुप्त जानकारी या ज्ञान। 'गंगा' से आशय सहनशील या पवित्र। और 'काला' से आशय दोषयुक्त है।
शब्द शक्ति - 'लाक्षणिक' शब्दों की शक्ति को 'लक्षणा' शब्द शक्ति कहते हैं। लक्षणा शक्ति से शब्द के अर्थ के समान या उनके सादृश्य गुणों का बोध होता है। अन्य शब्दों में कहें तो लक्षणा शक्ति शब्द के लक्षण से उसका अर्थ प्रकट करती है।
अन्य उदाहरण देखें -
1. हिमालय मुकुट है। अर्थात् 'सबसे ऊँचा'
2. ये तो हमारे गाँव का लड़ाका है। अर्थात् 'वीर'
3. राजू तो उल्लू है। अर्थात् 'मूर्ख'
4. तुम्हारा हाथ तो लोहा है। अर्थात् 'कठोर'
5. वह आदमी दरिया दिल है। अर्थात् 'उदार'
व्यन्जक शब्द
व्यन्जक शब्द को व्यंग्यार्थ शब्द भी कहते हैं। जब कोई बात व्यंग्य स्वरूप कहीं जाये और इस हेतु प्रयुक्त शब्दों का कोई मुख्य अर्थ न लिया जाये और न ही लाक्षणिक अर्थ, बल्कि उनसे कोई गूढ़ या सांकेतिक अर्थ प्राप्त हो तो ऐसे शब्दों को व्यन्जक शब्द कहा जाता है।
व्यन्जक शब्द उस शब्द का अर्थ नहीं बल्कि भाव या उद्देश्य या तात्पर्य को बताता है। किसी प्रसंग या संदर्भ के अनुसार एक ही शब्द के अनेक भाव प्रकट होते हैं।
उदाहरण - एक वाक्य कहा जाए -
"शाम हो गयी।"
उक्त वाक्य के कहने से अनेक भावों या अर्थों का संकेत प्राप्त होता है -
जैसे - शाम हो गयी इसलिए -
1. पढ़ने बैठ जाओ।
2. खेलना बन्द करो।
3. दीया बत्ती जला दो।
4. अब काम करना छोड़ दो।
5. गाय-बकरी अन्दर बाँध दो।
उक्त भावों को लेकर "शाम हो गई" कहा जा सकता है।
एक अन्य उदाहरण देखें-
मानलो कुछ लड़के बहुत देर से बैठे हैं और हमें उन्हें वहाँ से उठाना है, तो हम उनको सीधे उठो और यहाँ से जाओ न कहकर इस प्रकार कहें -
"क्यों भाई, क्या टाइम हो गया?"
तो इसका अर्थ वे समझ जायेंगे हैं कि अब उन्हें यहाँ से उठ कर चले जाना चाहिए।
यहाँ हम देखते हैं कि व्यन्जक शब्द संकेत से अर्थ बताते हैं। वैसे देखा जाये तो व्यंग्यार्थ एक शब्द का नहीं, पूरे वाक्य का अभिप्राय होता है।
अन्य उदाहरण -
(i) पत्ता तक नहीं हिल रहा है।
(ii) पेट का पानी तक नहीं डुलेगा।
(iii) सिर पर नंगी तलवार लटक रही है।
शब्द शक्ति - व्यन्जक शब्द की शक्ति को 'व्यन्जना' शब्द शक्ति कहते हैं। व्यन्जना से प्रकट होने वाले अर्थ को 'व्यंग्यार्थ' कहते हैं।
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R F Temre
rfhindi.com
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
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