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तत्सम शब्द का शाब्दिक अर्थ, अवधारणा और इतिहास || Tatsam Shabd Meaning and Examples

तत्सम शब्द का अर्थ - तत्सम का अर्थ होता है 'ज्यों का त्यों' विश्लेषण करने पर देखें तो तत्सम शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - (1) 'तत्' (2) 'सम' जिसमें पहले शब्द 'तत्' (अर्थात तस्य) का अर्थ है 'उसके' (अर्थात संस्कृत के) और दूसरे शब्द 'सम' का अर्थ होता है 'समान' (के जैसा/की तरह)।

तत्सम शब्द क्या हैं - किसी भाषा के मूलशब्द को तत्सम कहते है। इस तरह संस्कृत में प्रयुक्त रूप के समान जब कोई शब्द अविकृत रूप (बिना बदलाव के) ज्यों का त्यों रूप हिन्दी में प्रयुक्त होता है तब वह 'तत्सम्' कहा जाता है। अतः तत्सम वे शब्द हैं जो संस्कृत से आए हैं और बिना किसी विकार या परिवर्तन के हिन्दी भाषा के अंग बन गए हैं।

तत्सम शब्दों का प्रयोग - ये वे शब्द हैं, जिन्हें हिन्दी ने मूल रूप में स्वीकार कर लिया है अर्थात् प्राचीनकाल से लेकर आज तक जिनके मूल रूपों में कोई परिवर्तन नहीं है। साहित्यिक हिन्दी में इस प्रकार के शब्दों की संख्या बहुत अधिक है। राष्ट्रभाषा हिन्दी के रूप में तत्सम-शब्दों का प्रयोग अधिक किया जाता है। इसका मूल कारण यह है कि तमिल, तेलुगू, कन्नड़ तथा मलयालम भाषाओं में संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है फलतः तत्सम-प्रवृत्ति के कारण अहिन्दी भाषी राज्यों में भी हिन्दी सुगम और सुबोध बन जाती है।

तत्सम शब्दों का इतिहास - संस्कृत भाषा भाषाओं की जननी है, जिससे हिन्दी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं जैसे- बंगाली, मराठी, उड़िया, गुजराती, सिंहली, मलयालम, तेलुगु जैसी द्रविड़ भाषाओं का जन्म हुआ है। हिन्दी की उत्पत्ति संस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रंश की श्रंखला आती है। इस तरह संस्कृत भाषा ही हिन्दी का मूल स्रोत है। प्राचीन काल में संस्कृत भारतवासियों के व्यवहार की भाषा थी। परिवर्तन प्रकृति का नियम है, धीरे-धीरे नई भाषाओं का जन्म हुआ। स्वाभाविक है इन भाषाओं में संस्कृत भाषा के शब्द प्रयुक्त हुए और ये शब्द ज्यों के त्यों प्रयुक्त होने के कारण शब्दों के प्रकार की दृष्टि से 'तत्सम' कहलाए। जैसा कि ऊपर 'तत्सम' का अर्थ स्पष्ट कर दिया गया है।

तत्सम शब्दों के उदाहरण - अक्षर, अग्नि, अरुण, अश्वनी, अहंकार, अश्रु, आम्र, उत्तर, कण्ठ, कथा, कन्या, कर्म, क्रमश:, कृष्ण, केतु, कृषि, क्षेत्र, क्रोध, गणक, गम्भीर, ग्रीष्म, गोत्र, घृत, चन्द्र, चरण, जीवन, तरुण, धर्म, दक्षिण, धारण, परिषद्, पृथ्वी, पक्ष, प्रज्ञा, प्रजा, पूर्व, पुष्प, पश्चिम, पुण्य, पशु, ब्राह्मण, मधु, मन्त्र, मित्र, मृत्यु, मन्त्री, रात्रि, रोहिणी, रस, रथ, युवा, रक्त, वायु, वसन्त, वर्ण, वृद्ध, शत्रु, सूर्य, समाधि, सम्राट्, परिवेश, परिप्रेक्ष्य, यात्रा, चैत, सूर्य, चन्द्र, बालक, नर, कपि, पवन, अधीन, अध्यक्ष, आक्रमण, आरंभ, आश्चर्य, इच्छा, ईर्ष्या, उत्सव, उपयोगी, ऋतु, एकाग्र, ओष्ठ्य, औषधालय, कनिष्ठ, कवि, कार्य, केश, गति, गुप्त, घातक, चंचल, चतुर, चिता, छाया, ज्वर, जप, जन्म, जीवन, तर्क, ताप, तुलना, दक्षिण, दया, दान, देवता, धन्यवाद, धर्म, धातु, नगर, नवयुवक, नियम, प्राप्त, प्राण, प्रातः, पिता, बन्धु, बुद्धि, भक्ति, भ्राता, मन, मस्तक, महिला, मुक्ति, युक्ति, योग, रक्षा, वसन्त, विद्या, विचार, विज्ञान, शिक्षा, संध्या, सत्य, समुद्र, स्वास्थ्य, हानि आदि।

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