विद्या ददाति विनयम्

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पाठ- 7 'मेरे बचपन के दिन' (विषय- हिन्दी कक्षा- 9 गद्य-खण्ड) सारांश एवं प्रश्नोत्तर || Path 6 'Mere Bachpan ke Din'

पाठ सारांश-

कुलदेवी दुर्गा की पूजा के बाद महादेवी जी का जन्म उनके परिवार में कई पीढ़ियों बाद हुआ। उनका बड़ा स्वागत हुआ। उनके बाबा फारसी तथा उर्दू और पिताजी अंग्रेजी पढ़े हुए थे। जब उनकी माँ जबलपुर से विवाह के बाद आई तब वे अपने साथ परिवार में हिन्दी लाई महादेवी को सबसे पहले पंचतन्त्र पढ़ना माँ ने सिखाया। उन्होंने घर पर ही संस्कृत पढ़ी। उनका क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में कक्षा पाँच में दाखिल करा दिया। वहाँ के छात्रावास में उनकी पहली साथिन सुभद्राकुमारी चौहान हुई। वहाँ पर उनकी खड़ी बोली में कविता लिखने की रुचि विकसित हुई। वे और सुभद्रा जी साथ बैठकर तुकबंदी करती थीं। उनकी कविताएँ उस समय की पत्रिका 'स्त्री दर्पण' में छपती भी थीं। फिर वे अपनी शिक्षिका के साथ कवि सम्मेलनों तथा काव्य प्रतियोगिताओं में जाने लगीं। वहाँ पर कभी हरिऔध कभी श्रीधर पाठक जी अध्यक्षता करते थे। एक बार प्रतियोगिता में एक चाँदी का कटोरा पुरस्कार में मिला जिसे उन्होंने बापू को देश की आजादी के कोष के लिए दे दिया। वे तथा उनकी साथी अपने जेब खर्च से एक-दो रुपये बचाकर बापू को देती रहती थीं। सुभद्रा के जाने पर जो छात्रा उनके कमरे में रही थी, वह उनकी बहुत सहयोगी बन गई, उनके कई काम कर देती थी। वह मराठी भाषी थी इसलिए महादेवी को मराठी सीखने का मौका मिल गया।
विद्यापीठ में आने के बाद भी वही क्रम चलता रहा। उनके घर के पास ही एक नवाब साहब का परिवार रहता था। उनसे इनके परिवार के घनिष्ठ सम्बन्ध थे त्यौहार, जन्मदिन आदि साथ-साथ मनाते थे। महादेवी उनके बेटे को राखी बाँधती थीं। उनके छोटे भाई मनमोहन वर्मा का नाम बेगम साहिबा ने ही रखा था। घरों में अवधी, उर्दू, हिन्दी भाषा बोली जाती थी। उनमें साम्प्रदायिकता का भाव न था। आज वह स्थिति स्वप्न जैसी लगती है। यदि वहीं वातावरण बना रहता तो आज भारत की कहानी कुछ और ही होती।

लेखक परिचय-
महादेव वर्मा

महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 में उत्तर प्रदेश के फ़र्रुखाबाद शहर में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा प्रयाग में हुई। प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचार्या पद पर लम्बे समय तक कार्य करते हुए उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफ़ी प्रयत्न किए। सन् 1987 में उनका देहांत हो गया।

महादेवी जी छायावाद के प्रमुख कवियों में से एक थीं। नीहार, रश्मि, नीरजा, यामा, दीपशिखा उनके प्रमुख काव्य संग्रह है। कविता के साथ-साथ उन्होंने सशक्त गद्य रचनाएँ भी लिखी हैं जिनमें रेखाचित्र तथा संस्मरण प्रमुख हैं। अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, श्रृंखला की कड़ियाँ उनकी महत्वपूर्ण गद्य रचनाएँ हैं। महादेवी वर्मा को साहित्य अकादमी एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से अलंकृत किया।

महादेवी वर्मा की साहित्य साधना के पीछे एक ओर आजादी के आंदोलन की प्रेरणा है तो दूसरी ओर भारतीय समाज में स्त्री जीवन की वास्तविक स्थिति का बोध भी है। हिंदी गद्य साहित्य में संस्मरण एवं रेखाचित्र को बुलंदियों तक पहुँचाने का श्रेय महादेवी जी को है। उनके संस्मरणों और रेखाचित्रों में शोषित, पीड़ित लोगों के प्रति ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी आत्मीयता एवं अक्षय करुणा प्रकट हुई है। उनकी भाषा-शैली सरल एवं स्पष्ट है तथा शब्द चयन प्रभावपूर्ण और चित्रात्मक

प्रश्न अभ्यास-

प्रश्न 1. 'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि -
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
उत्तर - महादेवी के जन्म के समय में लड़कयों की दशा अच्छी नहीं थी। लड़कियाँ परिवार पर बोझ मानी जाती थीं। उनके प्रति उपेक्षा का व्यवहार होता था। उनकी शिक्षा-दीक्षा पर कोई ध्यान नहीं देता था। नौकरी या रोजगार भी वे नहीं कर सकती थी। उन्हें बड़ा कष्ट झेलना पड़ता था।

(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर - आज लड़कियों के जन्म के सम्बन्ध में बहुत अन्तर आ गया है। आज लड़कियों को बुरा नहीं माना जाता है। पहले की तरह अब उनके प्रति उपेक्षा का व्यवहार भी नहीं किया जाता है। आज सामाजिक सोच में पर्याप्त बदलाव आया है। आज लड़कियों की शिक्षा-दीक्षा पर ध्यान दिया जाता है। वे रोजगार या नौकरी भी कर रही हैं। आज लड़कियाँ भार नहीं मानी जाती है अपितु वे अधिक जिम्मेदार और निष्ठावान साबित हो रही है।

प्रश्न 2. लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाईं?-
उत्तर - उर्दू-फारसी सीखना लेखिका के वश की बात नहीं थी। उन्हें पढ़ाने के लिए मौलवी आए तो वे चारपाई के नीचे छिपकर बैठ गईं। इसीलिए वे उर्दू-फारसी नहीं सीख पाईं।

प्रश्न 3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर - लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की कई विशेषताओं का उल्लेख किया है -
(1) लेखिका के परिवार में हिन्दी लाने वाली उनकी माँ थीं।
(2) वे पूजा-पाठ बहुत करती थीं।
(3) उन्हें हिन्दी तथा संस्कृत का ज्ञान था, पंचतंत्र पढ़ना सिखाने वाली वे ही थीं।
(4) गीता में उनकी गहरी रुचि थी। वे मीरा के पदों को गाया करती थीं।
(5) वे धर्मपरायण उत्तम संस्कार वाली आदर्श माँ थीं। उनका व्यवहार बहुत सहज तथा आत्मीय था। वे श्रेष्ठ गृहिणी थीं।

प्रश्न 4. जबारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है ?
उत्तर - महादेवी वर्मा के परिवार के जबारा के नवाब के परिवार से घनिष्ठ सम्बन्ध थे। वे उनकी बेगम को ताई साहिबा कहती थीं तथा उनके बच्चे लेखिका की माँ को चचीजान कहते थे। नवाब साहब का बेटा निराहार रहकर लेखिका से राखी बँधवाता था। बेगम साहिबा लेखिका के छोटे भाई के जन्म के समय कपड़े लाई थीं तथा उसका नाम मनमोहन रखा था जो अन्त तक चलता रहा। दोनों परिवार त्यौहार मिलकर मनाते थे। मुहर्रम के दिन दोनों परिवारों में हरे कपड़े पहने जाते थे। धर्म आदि का कोई भेदभाव नहीं मानते थे। लेकिन आज धर्म के नाम पर कटुता पैदा हो गई है। हिन्दू-मुसलमान परिवारों में आत्मीयता का अभाव है। यही सोचकर लेखिका ने उस समय के सम्बन्धों को स्वप्न जैसा कहा है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5. जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होते तो महादेवी वर्मा से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर - महादेवी वर्मा की साथिन जैबुन्निसा उनके लिए बहुत काम करती थी। यदि मैं महादेवी जी के साथ होती/होता तो उनके छोटे-मोटे काम निपटा दिया करती/करता। किन्तु उनसे अपेक्षा करती/करता कि वे भी मेरी पढ़ाई में मदद करें।

प्रश्न 6. महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?
उत्तर - महादेवी वर्मा की तरह यदि मुझे कोई पुरस्कार मिले और उस पुरस्कार की वस्तु मुझे देशहित या आपदा निवारण हेतु देनी पड़े तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी। इस तरह का अवसर मिलना बड़े सौभाग्य की बात है।

प्रश्न 7. लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर - लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा खड़ी बोली में की है विद्यार्थी उसे अपनी मातृभाषा-ब्रज, बुन्देली, मालवी, बघेली आदि में लिखकर अपने शिक्षक महोदय को दिखाएँ।

प्रश्न 8. महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर -
बचपन की स्मरणीय घटना
मैं अपने गाँव से दो किलोमीटर दूर पढ़ने जाता था। मैं कक्षा 7 में था। हम चार साथी पैदल जाते थे। जुलाई का महीना था। रास्ते में मार्ग के पास जामुन के पेड़ खड़े थे। उन पर बड़ी-बड़ी तथा मीठी जामुन पक रही थीं। विद्यालय से लौटते समय हमने अपने थैले नीचे रख दिए और जामुन के पेड़ों पर चढ़ गए। हममें से एक को पकी जामुनों का ज्यादा लालच आ गया इसलिए वह पतली डाली पर आगे तक चढ़ता ही चला गया। वह आगे बढ़कर जामुन तोड़ रहा था कि डाली टूट गई। वह पच्चीस फुट की ऊँचाई से जमीन पर जा गिरा। हम सब घबरा गए। जल्दी-जल्दी नीचे उतरकर आए, उसे देखा तो वह बेहोश पड़ा था। हम सभी घबरा गए। उसी समय एक गाँव का आदमी मोटर साइकिल से जा रहा था, हमने उसे पुकारा, वह आ गया। बच्चे को घायल देखकर उसने तुरन्त हम में से एक बच्चे की गोदी में लेकर उसे मोटर साइकिल पर बैठाया और पास के कस्बे के अस्पताल में ले गया। पीछे-पीछे हम भी चल दिए। डाक्टर ने देखकर बताया कि उसकी बाँह की हड्डी टूट गई है। उसी के कारण यह बेहोश हो गया है। उसने प्राथमिक उपचार किया तो उसे होश आ गया। हमने उसके घर खबर कर दी थी। उसके पिताजी आ गये। वे उसे हड्डी के डाक्टर के पास ले गए। उसे प्लास्टर चढ़ाया। एक माह बाद वह ठीक हो सका। वह घटना मेरे मानस में लगातार बनी रहती है।

प्रश्न 9. महादेवी ने कवि सम्मेलन में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर - विद्यार्थी अपनी बेचैनी को डायरी शैली में एक पृष्ठ में लिखें। नमूने के लिए एक डायरी का पृष्ठ प्रस्तुत है-
26 जनवरी, 2022 आज गणतन्त्र दिवस समारोह में मुझे 'भारतीय गणतन्त्र' पर अपने विचार व्यक्त करने थे। कार्यक्रम का प्रारम्भ प्रातः 9 बजे प्रधानाचार्य महोदय द्वारा ध्वजारोहण से हुआ। इसके बाद भाषण तथा काव्य पाठ होना था। संचालन आचार्य रामजी प्रकाश कर रहे थे। उन्होंने जनगणमन के बाद भारत माता की जय-जयकार के नारे लगवाए। इसके बाद काव्य पाठ के लिए एक बालक को बुलाया, क्रमश: एक कविता, फिर भाषण चलते रहे। मुझे बेचैनी हो रही थी कि मेरी पुकार कब होगी ? औरों के भाषण सुनकर मेरे मस्तिष्क में नये नये विचार आ रहे थे। एक बालक ने उन बातों में से कई का उल्लेख अपने भाषण में कर दिया जिन्हें मैं बोलना चाहता था। मेरी बेचैनी और बढ़ गई, मैंने मन को स्थिर कर नये बिन्दु जोड़ने प्रारम्भ किए। मैं विचारों को क्रमबद्ध कर ही रहा था कि मेरा नाम पुकार दिया गया। मैं आत्मविश्वास से भरा था, मैंने जाते ही भारतीय गणतन्त्र की पृष्ठभूमि बताने से पूर्व स्वतन्त्रता संग्राम के बलिदानियों को नमन कर उनका जयघोष किया। सभी बच्चों ने मेरा साथ दिया तथा तालियों से उत्साह बढ़ाया। मैं बालकों के मन-मस्तिष्क में उतर चुका था। मेरे विचार सहज ही ओजस्वी भाषा में व्यक्त होते जा रहे थे। बालक एक-एक कथन का तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत कर रहे थे। मैं लगभग 15 मिनट तक बोला, श्रोता मुग्ध होकर सुनते रहे। जब संचालक महोदय ने समापन का संकेत किया तो मैंने भारत माता की जय बोलते हुए अपनी बात समाप्त की और अपनी जगह पर आकर बैठ गया। समारोह के अन्तिम चरण में पुरस्कार वितरण हुआ। मुझे भाषण के लिए प्रथम पुरस्कार दिया गया। प्राचार्य जी ने मेरी पीठ थपथपाई, आज का गणतन्त्र दिवस मेरे लिए स्मरणीय बन गया।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 10. पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए -
विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति ।
उत्तर -
शब्द ― विलोम शब्द

विद्वान – मूर्ख
अनंत – संक्षिप्त
निरपराधी – अपराधी
दंड – पुरस्कार
शांति – अशांति

प्रश्न 11. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए-
निराहारी साम्प्रदायिकता, अप्रसन्नता, अपनापन, किनारीदार, स्वतन्त्रता।
उत्तर -
निराहारी - निर् + आहार + ई
साम्प्रदायिकता - सम्प्रदाय + इक + ता
अप्रसन्नता - अ + प्रसन्न + ता
अपनापन - अपना + पन
किनारीदार - किनारा + ई + दार
स्वतन्त्रता - स्व + तंत्र + ता

प्रश्न 12. निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए-
उपसर्ग - अन्, अ, सत्, स्व, दुर्।
प्रत्यय - दार, हार, वाला, अनीय।
उत्तर -
उपसर्ग -

अन् - अनादर, अनावश्यक
अ - अन्याय, असत्य
सत् - सत्कर्म, सत्संग
स्व - स्वराज, स्वाधीन
दुर् - दुर्जन, दुराचार

प्रत्यय-
दार - दुकानदार, किनायेदार
हार - तारनहार, पालनहार
वाला - मतवाला, फलवाला
अनीय - दर्शनीय, आदरणीय

प्रश्न 13. पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए -
उत्तर -
पूजा-पाठ — पूजा और पाठ
उर्दू-फारसी — उर्दू और फारसी
पंच तंत्र — पाँच तंत्रों से बना है जो
दुर्गा-पूजा — दुर्गा की पूजा
जन्मदिन — जन्म का दिन
छात्रावास — छात्रों का आवास
कवि सम्मेलन — कवियों का सम्मेलन

कक्षा 9 क्षितिज (हिन्दी विशिष्ट) के पद्य खण्ड के पाठ, उनके सार, अभ्यास व प्रश्नोत्तर को पढ़ें।
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2. सम्पूर्ण कहानी- 'दो बैलों की कथा' - प्रेंमचन्द
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5. पाठ- 2 'ल्हासा की ओर' (यात्रा-वृत्तान्त, लेखक- राहुल सांकृत्यायन), पाठ का सारांश, प्रश्नोत्तर, भाषा अध्ययन, रचना और अभिव्यक्ति (कक्षा 9 हिन्दी)
6. पाठ - 3 'उपभोक्तावाद की संस्कृति' (विषय हिन्दी गद्य-खण्ड कक्षा - 9) प्रश्नोत्तर अभ्यास
7. साँवले सपनों की याद– जाबिर हुसैन, प्रमुख गद्यांश एवं प्रश्नोत्तर।
8. नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया — चपला देवी, Class 9th Hindi क्षितिज पाठ-5 अभ्यास व प्रश्नोत्तर
9. पाठ 6 'प्रेंमचंद के फटे जूते' (विषय- हिन्दी गद्य-खण्ड कक्षा- 9) पाठ का सारांश एवं प्रश्नोत्तर

कक्षा 9 संस्कृत के पाठों व प्रश्नोत्तर पढ़ें।
1. पाठः प्रथमः 'भारतीवसन्तगीतिः' (विषय - संस्कृत कक्षा- 9) सारांश, भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर
2. पाठः द्वितीयः 'स्वर्णकाकः' (विषय - संस्कृत कक्षा- 9) सारांश, भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर
3. पाठः तृतीयः 'गोदोहनम्' विषय - संस्कृत (कक्षा- 9) सारांश, भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर

9th ब्रिज कोर्स हिन्दी, अंग्रेजी व गणित की जानकारी
1. हिन्दी भाषा ज्ञान - स्वर, व्यन्जन एवं उनके उच्चारण स्थल (ब्रिज कोर्स कक्षा -9)
2. Bridge Course 9th English. Unit 1 Alphabet knowledge CAPITAL and SMALL LETTERS
3. Bridge Course 9th English. Unit 2 Vocabulary building

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I Hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfhindi.com

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