नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया — चपला देवी || Class 9th Hindi क्षितिज पाठ-5 अभ्यास व प्रश्नोत्तर
पाठ का सारांश
यह रचना 'हिन्दू पंच' पत्रिका के बलिदान अंक से संकलित की गई है। सन् 1857 के विद्रोह में धन्धूपंत नाना साहब कानपुर में असफल होकर भागे तो अपनी पुत्री देवी मैना को बिदूर महल में अकेला छोड़कर चले गए। अंग्रेजों ने देवी मैना को आग में भस्म कर दिया। कानपुर में हत्याकाण्ड करके अंग्रेज सैनिक बिठूर महल को लूटने पहुँच गए। वे उस महल को तोप से उड़ाना चाहते थे, परन्तु एक बालिका ने उस महल को नष्ट न करने का निवेदन सेनापति से किया। सेनापति ने अपनी मजबूरी प्रकट की तो बालिका ने अपना परिचय देते हुए सेनापति को बताया कि आपकी पुत्री 'मेरी' मेरी सहचरी थी सेनापति ने बालिका को पहचाना और महल की रक्षा करने के प्रयास का आश्वासन दिया।
सेनापति ने प्रधान सेनापति अउटरम से विनम्र स्वर में पूछा कि क्या किसी तरह इस महल को बचाया जा सकता है। प्रधान सेनापति ने बताया कि गवर्नर जनरल की आज्ञा से यह सम्भव है। सेनापति ने गवर्नर जनरल को इस विषय का तार दिया। प्रधान सेनापति जब लड़की को गिरफ्तार करने लगे तो सेनापति वहाँ से चुपचाप चले गए। अंग्रेज सेना ने महल को घेर लिया। महल का कौन-कौना खोजने पर भी मैना का पता न लगा। उसी समय गवर्नर जनरल का तार आ गया कि 'लंदन के मंत्रिमण्डल का मत है कि नाना के किसी भी स्मृति चिह्न तक को मिटा दिया जाय।' अंग्रेज सेना ने तुरन्त महल पर गोले बरसाना प्रारम्भ कर दिया गया और महल को नष्ट कर दिया। उसी समय 'टाइम्स' पत्र में छपे लेख में दुख प्रकट करते हुए लिखा गया कि अंग्रेजों की भारत सरकार नाना साहब को पकड़ न सकी, जिन पर अंग्रेजों का भीषण क्रोध है। कानपुर में हुए अंग्रेजों के हत्याकाण्ड को भूलना असम्भव है। उसी पार्लियामेण्ट की हाउस ऑफ लॉर्डस सभा में सेनापति का मखौल उड़ाया गया। उन पर महाराष्ट्र की मामूली बालिका पर मोहित होने का आरोप लगाया गया तथा नाना के पुत्र, पुत्री आदि सभी सम्बन्धियों को मार डालने का मत व्यक्त किया गया।
सन् 1857 के सितम्बर मास की आधी रात को स्वच्छ वस्त्र धारण किये एक बालिका टूटे महल के ढेर पर रो रही थी। पास में ठहरी जनरल अउटरम की सेना के सैनिकों के पूछने पर बालिका चुप रही। अउटरम आ गया, बालिका ने रोने के लिए कुछ समय की प्रार्थना की किन्तु जनरल ने मना कर दिया। उसने उसे कैद कर लिया और कानपुर के किले में ले जाया गया। उसी समय 'बाखर' पत्र में मैना देवी को कानपुर के किले में जलाकर भस्म कर देने की खबर छपी। लोगों ने मैना देवी को प्रणाम किया।
महत्वपूर्ण गद्यांशों की व्याख्या
[1] आपके विरुद्ध जिन्होंने शस्त्र उठाये थे, वे दोषी हैं; पर इस जड़ पदार्थ मकान ने आपका क्या अपराध किया है ? मेरा उद्देश्य इतना ही है, कि यह स्थान मुझे बहुत प्रिय है, इसी से मैं प्रार्थना करती हूँ कि इस मकान की रक्षा कीजिए।
संदर्भ— यह गद्य खण्ड हमारी पाठ्य पुस्तक के 'नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया' पाठ से लिया गया है। इसकी लेखिका चपला देवी हैं।
प्रसंग— यहाँ पर देवी मैना ने मकान को निर्दोष बताते हुए, इसकी संरक्षा के लिए निवेदन किया है।
व्याख्या— मैना देवी सेनापति को तर्क सहित कहती है कि जिन लोगों ने आपके खिलाफ विद्रोह किया था और हथियारों से आक्रमण किया था, वे दोषी है। उन्हें उनके अपराध के लिए दण्डित किया जाना तो ठीक है लेकिन इस निर्जीव मकान ने आपका कोई अपराध किया ही नहीं है। फिर आप इस मकान को क्यों ध्वस्त करना चाहते हैं। यह मकान मुझे बहुत प्यारा है, इसी कारण से मैं आपसे निवेदन करती हूँ कि आप इस मकान को ज्यों का त्यों सुरक्षित रहने दें। इसे ध्वस्त न करें।
विशेष— (1) मैना देवी तर्क देती हैं कि निरपराध को दण्ड देना उचित नहीं है।
(2) शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
(3) तर्कपूर्ण शैली में बात को प्रस्तुत किया गया है।
[2] 'कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकाण्ड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गयी। भीषण अग्नि में शान्त और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सबने उसे देवी समझ कर प्रणाम किया।'
संदर्भ— पूर्वानुसार।
प्रसंग— इस गद्यांश में नाना साहब की पुत्री मैना देवी को जलाकर भस्म कर देने की हृदय विदारक घटना का वर्णन है।
व्याख्या— स्वतन्त्रता के लिए बलिदान करने के क्रम में कल कानपुर में एक भयंकर काण्ड हो गया। नाना साहब की इकलौती पुत्री मैना कानपुर के किले में अंग्रेजों ने बन्दी बना रखी थी। कल उस शान्त और सरल स्वभाव कन्या को धधकती हुई आग में जलाकर मार दिया गया। इस अद्भुत कन्या को आग में जलता हुआ देखकर लोगों ने उसे देवी मानकर विनम्र प्रणाम किया, उसकी वन्दना की।
विशेष— (1) बालिका मैना देवी के बलिदान का रोमांचक अंकन हुआ है।
(2) शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली में विषय को रखा गया है।
(3) भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. बालिका मैना ने सेनापति 'हे' को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया?
उत्तर— मैना देवी ने सेनापति 'हे' से कहा कि जिन लोगों ने आप पर हथियार उठाए थे उनको दण्ड देना तो ठीक है किन्तु इस जड़ मकान ने तो आपका कोई अपराध किया नहीं फिर आप इसे क्यों ध्वस्त करना चाहते हैं। उसने सेनापति को स्मरण कराया कि उनकी बेटी 'मेरी' उसकी सखी थी। वह उसे बहुत प्यार करती थी। उसने उन्हें यह भी बताया आप भी मेरे पास आते थे और मुझे भी अपनी बेटी की तरह ही प्यार करते थे। साथ ही उसने बताया कि यह स्थान उसे बहुत प्यारा लगता है। इसी तरह के तर्क देकर उसने सेनापति 'हे' को महल की रक्षा के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया।
प्रश्न 2. मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी, पर अंग्रेज उसे नष्ट करना चाहते थे क्यों?
उत्तर— नाना साहब के बिठूर के मकान में मैना देवी रह गई थी। वह स्थान उसे बहुत प्रिय था। इसीलिए उसने सेनापति 'हे' से प्रार्थना की कि इस मकान की रक्षा कीजिए। दूसरी और अंग्रेज इसे नष्ट करना चाहते थे क्योंकि यह मकान अंग्रेजों का संहार करने वाले नाना साहब धुन्धूपंत का निवास स्थान था वे नाना साहब से बहुत नाराज थे। वे उनका कोई स्मृति चिह्न शेष नहीं रहने देना चाहते थे। इसी कारण से वे इस मकान को नष्ट करना चाहते थे।
प्रश्न 3. सर टामस 'हे' के मैना पर दया भाव के क्या कारण थे?
उत्तर— सर टामस 'हे' को अल्पवयस बालिका मैना के करुणापूर्ण मुख और कम उम्र को देखकर कुछ दया आ गई। जब मैना ने सेनापति 'हे' को बताया कि उनकी बेटी 'मेरी' उसकी सखी थी, वह उसे बहुत प्यार करती थी, उसका एक पत्र आज भी वह रखे हुए है। उसने उन्हें ध्यान दिलाया कि वे भी उसके घर आया करते थे तथा उसे भी अपनी बेटी मानते थे, प्यार करते थे। यह सुनकर सेनापति को सब याद आ गया। इन्हीं कारणों से उनके मन में मैना के प्रति दया आ गई।
प्रश्न 4. मैना की अन्तिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी?
उत्तर— मैना को बिठूर का प्रासाद बहुत प्रिय था। उसने उसकी रक्षा के लिए पूरा-पूरा प्रयास किया। किन्तु वह नहीं बचा सकी तो वह उसके ढेर पर बैठकर जी भरकर रोना चाहती थी जिससे उसे कुछ शान्ति मिल जाए। किन्तु जनरल को भय था कि कहीं इस बालिका का रोना विद्रोह को फिर से न भड़का दे। वह नाना साहब के विद्रोह से आतंकित था। इसलिए पत्थर हृदय जनरल ने मैना को प्रासाद के ढेर पर बैठकर रोने की अनुमति नहीं दी।
प्रश्न 5. बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर— मैना के चरित्र की कई विशेषताएँ ऐसी हैं जिन्हें हम अपनाना चाहेंगे—
(1) मैना देवी शान्त और सरल स्वभाव की थीं। यही कारण है कि उन्हें भस्म होते हुए देखने वालों ने उन्हें देवी समझकर प्रणाम किया।
(2) मैना देवी में कोई छल कपट नहीं था। वे निडर थीं इसीलिए वे अपने चारों ओर सैनिकों को देखकर भी नहीं डरी। जनरल के सामने भी निडर रहीं।
(3) वे जिस स्थान पर रहती थीं वह उन्हें बहुत प्रिय था, उसे बचाने के उन्होंने हर सम्भव प्रयास किए। नष्ट होने पर उसके ढेर पर बैठकर वे जी मर कर रोना चाहती थीं।
(4) वह सच्ची सहचरी थी। जो मेरी उसकी प्रिय सखी रही थी उसे भूल नहीं पाई थी। उसका पत्र भी उसके पास सुरक्षित था। निरपराध जड़ प्रासाद को नष्ट न करने की बात कहीं। सेनापति को भी पुरानी याद दिलाकर।
(5) वह अपनी बात को तर्क के साथ रखने की शक्ति रखती थी। इसीलिए उसने दयालु बना दिया।
मैना की ये सभी विशेषताएँ श्रेष्ठ सद्गुण हैं। इसीलिए इन्हें अपनाने में हमें गौरव का अनुभव होगा।
प्रश्न 6. टाइम्स पत्र ने 6 सितम्बर को लिखा था- 'बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक नाना साहब को नहीं पकड़ सकी।' इस वाक्य में 'भारत सरकार' से क्या आशय है?
उत्तर— उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था। यहाँ की सरकार लंदन के मंत्रिमण्डल के अधीन होती थी। अतः इस वाक्य में भारत सरकार' का आशय लंदन के मंत्रिमंडल द्वारा भारत पर शासन करने के लिए गठित की गई सरकार से है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 7. स्वाधीनता आन्दोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी?
उत्तर— इस प्रकार के लेखन से भारतीय जनता को यह पता चलता था कि भारत पर शासन करने वाली अंग्रेजों की सरकार कितनी क्रूर, निर्दयी तथा बर्बर है। इससे उनमें अंग्रेज सरकार के प्रति आक्रोश की भावना जागती थी। वे अनुभव करने लगते थे कि ऐसी क्रूर सरकार से छुटकारा पाना चाहिए। इससे विद्रोही आन्दोलन में और अधिक सक्रिय होते थे। जनता का उन्हें सहयोग और समर्थन मिलता था तथा विद्रोह पनपता था। अंग्रेजों के प्रति घृणा, आक्रोश और क्रोध का भाव तीव्र होता था। वास्तव में तो इस तरह का लेखन स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा होगा।
प्रश्न 8. कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।
उत्तर— विद्यार्थी शिक्षक महोदय के सहयोग से अपना-अपना रेडियो समाचार तैयार करें। उदाहरण के लिए एक समाचार यहाँ प्रस्तुत है-“कल कानपुर के किले में हुए निर्मम हत्याकाण्ड से लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। नाना साहब धुन्धूपंत की एकमात्र कन्या मैना को अंग्रेजों ने धधकती आग में भस्म कर दिया। शान्त तथा सरल हृदय बालिका को आग की लपटों के बीच जलती हुई देखकर सभी ने उसे देवी समझ कर करबद्ध प्रणाम किया।"
प्रश्न 9. इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारम्भिक रूप की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली में लिखी जाती हैं। आप-
(क) कोई दो खबरें किसी अखबार से काटकर अपनी कापी में चिपकाएँ तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
उत्तर— विद्यार्थी अपने घर पर आने वाले अखबार से दो खबरें काटकर लाएँ। उन अपने शिक्षक महोदय को दिखाएँ तथा उनके परामर्श से अपनी कापी पर चिपकाकर कक्षा में अन्य साथियों के सामने पढ़कर सुनाएँ।
(ख) अपने आस-पास की किसी घटना का वर्णन रिपोतांज शैली में कीजिए।
उत्तर— अब होगा तालाब का जीर्णोद्धार
ग्रामीणों एवं उनके पशुओं हेतु जल समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री जी के द्वारा ग्राम का भ्रमण किया गया और जब देखा कि वाकई ग्राम में पानी की कमी है तो उन्होंने तत्काल ही ग्राम के बड़े तालाब के जीर्णोद्धार हेतु राशि स्वीकृत कर दी। अब तत्काल ही कार्य शुरू हो जाएगा और ग्रामीणों की पेयजल समस्या समाप्त हो जाएगी।
प्रश्न 10. आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।
उत्तर— विद्यार्थी अपनी जानकारी की घटना से सम्बन्धित एक अनुच्छेद लिखें तथा शिक्षक महोदय को दिखाएँ। एक घटना पर एक अनुच्छेद यह है—
'एक दिन गाँव के तालाब में नहाने हम चार साथी गये। हममें तीन तो तैरना जानते थे किन्तु एक को तैरना नहीं आता था हम नहाते नहाते अत्यन्त गहरे गड्ढे में जा गिरे। जो तैरना जानते थे वे तो तैरकर निकल आए पर एक जो तैरना नहीं जानता था, वह डूब गया। हम सभी घबरा हममें से कोई इतनी हिम्मत नहीं कर पा रहा था कि उसे निकालने के लिए तालाब में कूद पड़े। तभी एक ग्वाला लड़का आया उसने तुरन्त छलांग लगाई और डुबकी लगाकर हमारे साथी को बाहर निकाल लाया। उसके पेट में पानी भर गया था। उल्टा करके उसके पेट के पानी को निकाला फिर उसे घर लाए। जिस ग्वाले ने बच्चे को निकाला था उसकी बहादुरी के लिए हम सबने एक कार्यक्रम किया। उसका विद्यालय में सम्मान किया तथा उसे ढेर सारे पुरस्कार दिए।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 11. भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इस पाठ में हिन्दी गद्य का प्रारम्भिक रूप व्यक्त हुआ है जो लगभग 75-80 वर्ष पहले था। इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिन्दी रूप में लिखिए।
उत्तर— विद्यार्थी अपनी पसन्द के अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिन्दी में लिखें तथा शिक्षक महोदय को दिखाएँ।
पाठेतर सक्रियता
1. अपने साथियों के साथ मिलकर बहादुर बच्चों के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तकों की सूची बनाइए।
उत्तर— विद्यार्थी अपने-अपने स्तर से बहादुर बच्चों सम्बन्धी पुस्तकों के नाम लिखकर लायें। कक्षा में बैठकर उन सबकी एक सूची बनाएँ तथा शिक्षक महोदय को दिखाएँ।
2. इन पुस्तकों को पढ़िए—
→ भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाएँ-राजम कृष्णन, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
→ '1857 की कहानियाँ'- ख्वाजा हसन निज़ामी, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
उत्तर— विद्यार्थी पुस्तकालय से लेकर इन पुस्तकों पढ़ें।
3. अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
आजाद भारत में दुर्गा भाभी को उपेक्षा और आदर दोनों मिले। सरकारों ने उन्हें पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने उन्हें 51 हजार रुपये भेंट किए। भाभी ने वे रुपये वहीं वापस कर दिए। कहा- "जब हम आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी। केवल देश की स्वतन्त्रता ही हमारा ध्येय था। उस ध्येय पथ पर हमारे कितने ही साथी अपना सर्वस्व निछावर कर गए, शहीद हो गए। मैं चाहती हूँ कि मुझे जो 51 हजार रुपये दिए गए हैं, उस धन से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए. जिसमें क्रान्तिकारी आन्दोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को इसकी बहुत आवश्यकता है।"
मुझे याद आता है सन् 1937 का ज़माना, जब कुछ क्रान्तिकारी साथियों ने गाज़ियाबाद तार भेजकर भाभी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना की थी भाभी ने तार से उत्तर दिया- "चुनाव में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। अतः लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।"
मुल्क के स्वाधीन होने के बाद की राजनीति भाभी को कभी रास नहीं आई। अनेक शीर्ष नेताओं से निकट सम्पर्क होने के बाद भी वे संसदीय राजनीति से दूर ही बनी रहीं। शायद इसीलिए अपने जीवन का शेष हिस्सा नई पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को उन्होंने समर्पित कर दिया।
प्रश्न (1) स्वतन्त्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान किस प्रकार किया गया?
उत्तर— सरकारों ने दुर्गा भाभी को पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमन्त्री दरबारा सिंह ने उन्हें 51 हजार रुपये भेंट किए।
प्रश्न (2) दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपये लेने से इंकार क्यों कर दिया?
उत्तर— दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपयों को लेने से इंकार करते हुए कहा कि "जब हम आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी। केवल देश की स्वतन्त्रता ही हमारा ध्येय था।" उन्होंने इसीलिए रुपये लेने से मना कर दिया।
प्रश्न (3) दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर क्यों रही?
उत्तर— भाभी की चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। उन्हें राजनीति कभी रास नहीं आई इसीलिए वे संसदीय राजनीति से दूर रहीं।
प्रश्न (4) आजादी के बाद उन्होंने अपने को किस प्रकार व्यस्त रखा?
उत्तर— आजादी के बाद दुर्गा भाभी ने अपने जीवन को नई पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को समर्पित कर दिया। वे विद्यार्थियों के उत्थान के कार्यों में व्यस्त रहीं।
प्रश्न (5) दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषता आप अपनाना चाहेंगे?
उत्तर— दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कई विशेषताएँ हैं, जिन्हें मैं अपनाना चाहूँगा—
(i) संघर्षशील देशभक्त।
(ii) व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि से दूर।
(iii) राजनीति से परहेज।
(iv) नई पीढ़ी के निर्माण के लिए समर्पण आदि। यदि एक ही विशेषता अपनानी पड़े तो मैं 'नई पीढ़ी के निर्माण के प्रति समर्पण' को अपनाना चाहूँगा।
कक्षा 9 क्षितिज (हिन्दी विशिष्ट) के पद्य खण्ड के पाठ, उनके सार, अभ्यास व प्रश्नोत्तर को पढ़ें।
1. पाठ 9 साखियाँ और सबद (पद) भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर
2. पाठ 10 'वाख' भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर
3. पाठ 11 'सवैये' भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर
4. पाठ 12 'कैदी और कोकिला' भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर
5. पाठ 13 'ग्रामश्री' भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर
6. पाठ 14 चंद्र गहना से लौटती बेर केदारनाथ अग्रवाल भावार्थ एवं अभ्यास
कक्षा 9 क्षितिज (हिन्दी) के गद्य खण्ड के पाठ, उनके सारांश एवं अभ्यास
1. पाठ 1 'दो बैलों की कथा' पाठ, का सारांश, अभ्यास एवं व्याकरण
2. सम्पूर्ण कहानी- 'दो बैलों की कथा' - प्रेंमचन्द
3. दो बैलों की कथा (कहानी) प्रेंमचन्द
4. पाठ- 2 'ल्हासा की ओर' - यात्रावृत्त - राहुल सांकृत्यायन
5. पाठ- 2 'ल्हासा की ओर' (यात्रा-वृत्तान्त, लेखक- राहुल सांकृत्यायन), पाठ का सारांश, प्रश्नोत्तर, भाषा अध्ययन, रचना और अभिव्यक्ति (कक्षा 9 हिन्दी)
6. पाठ - 3 'उपभोक्तावाद की संस्कृति' (विषय हिन्दी गद्य-खण्ड कक्षा - 9) प्रश्नोत्तर अभ्यास
7. साँवले सपनों की याद– जाबिर हुसैन, प्रमुख गद्यांश एवं प्रश्नोत्तर।
I Hope the above information will be useful and
important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण
होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfhindi.com
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